SC के निर्देशों की माया ने उड़ाई धज्जिया , अल्पसंख्यकों से खुलकर मांगे वोट .
मेरठ, 01 फरवरी = बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की परवाह नहीं करते हुए अल्पसंख्यकों से खुलकर वोट मांगे। मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पुत्रमोह में अपने भाई शिवपाल यादव को जनता के सामने अपमानित किया। इससे शिवपाल और उनके खेमें के लाग अखिलेश यादव और उनके खेमे के लोगों को सबक सिखायेंगे। इसलिए सपा के दोनों खेमें अन्दर ही अन्दर एक दूसरे के खेमों को हराने की कोशिश करेंगे। इससे इनका बेस वोट भी बंटेगा।
मायावती यहां पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभा को सम्बोधित कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि इसलिए सपा को वोट देने पर अल्पसंख्यक समाज का वोट बेकार चला जायेगा और इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलेगा। इसलिए इस नुकसान से बचने के लिए अल्पसंख्यक समाज अपना एकतरफा वोट सपा को नहीं देकर अपनी हितैषी पार्टी बसपा को दे। उन्होंने कहा कि बसपा अल्पसंख्यकों के विकास का ध्यान रखती है और हमारा बेस वोट भी मजबूत है। इसके साथ ही भाजपा को हराने में केवल हम ही सक्षम है। इसलिए अगर अल्पसंख्यकों का वोट बसपा को मिला तो भाजपा को नुकसान होगा और वह किसी भी कीमत पर सत्ता में काबिज नहीं हो पायेगी।
बसपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव में साम्प्रदायिक, जातिवादी और आपराधिक ताकतों को नष्ट करने के लिए सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हमने टिकट बंटवारे के मामले में भी सर्व समाज को उचित भागीदारी दी है। इसलिए जनता को अपना वोट सपा व कांग्रेस गठबंधन के अलावा भाजपा व अन्य विरोधी पार्टियों को वोट नहीं देना है।
उन्होंने कहा कि सपा के पिछले पांच साल और केन्द्र की नरेन्द्र मोदी के लगगभ पौने तीन साल के कार्यकाल के दौरान किसान, मजदूर, कर्मचारी व व्यापारियों की विरोधी नीतियों से प्रदेश की 22 करोड़ जनता में आक्रोश व्याप्त है। ऐसे हालातों में भाजपा अपने किसी चेहरे को मुख्यमंत्री पद के लिए सामने लाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। वहीं सपा का जो चेहरा है, उसके राज में भ्रष्ट कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण नहीं होने की स्थिति सभी के सामने है।
बसपा मुखिया ने कहा कि इसी तरह कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 37 वर्ष तक और केन्द्र में 54 वर्ष तक काम किया, वह अपनी गलत नीतियों के कारण केन्द्र और कई राज्यों की सत्ता से बाहर हो चुकी है। मायावती ने कहा कि कांग्रेस अब राजनीतिक स्वार्थ में भाजपा के इशारे पर सरकार चलाने वाली और अल्पसंख्यक समाज विरोधी सपा सरकार के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। उसने अपने मूल सिद्धान्त भी ताक पर रख दिए हैं। ऐसे में जनता को तय करना है कि वह इन लोगों को वोट देगी या फिर इनका सफाया करने वाली और कानून का राज स्थापित करने वाली बसपा के बेदागी चेहरे को।
मायावती ने सपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इनके कार्यकाल में मुजफ्फरनगर दंगे समेत 500 छोटे बड़े दंगे प्रदेश में हुए। दादरी की घटना हुई, बुलंदशहर का दर्दनाक बलात्कार काण्ड हुआ। इसके साथ ही आज प्रदेश में चोरी, डकैती, लूट मार, जमीनों पर कब्जे, महिलाओं के खिलाफ अपराध बहुत बढ़ गए हैं।
मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव सरकार में विकास कार्य अधूरे हैं। करोड़ों रुपए प्रचार में खर्च कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने विकास और जनहित के जो भी कार्य किए गए उनमें से ज्यादातर की शुरुआत मेरी सरकार में हो गई थी। सपा सरकार ने हमारी योजनाओं के नाम बदलकर चलाए हैं। इनमें महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना का नाम बदलकर समाजवादी पेंशन योजना कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सपा का शासन बेहद निराशाजनक और कष्टदायक रहा है।
बसपा मुखिया ने कहा कि इसी तरह भाजपा ने लोकसभा चुनाव में झूठे वादे करके जनता को गुमराह किया। केन्द्र सरकार ने अभी तक अपने चुनावी वादों का एक चौथाई भी पूरा नहीं किया है। वहीं जनता का ध्यान हटाने के लिए कभी सर्जिकल स्ट्राइक को देशभक्ति से जोड़ा और किस्म-किस्म की नाटकबाजी की, लेकिन सफल नहीं होने पर बिना किसी तैयारी के नोटबन्दी कर दी। उन्होंने कहा कि इससे देश के 90 प्रतिशत लोग परेशान हुए।