कोरोना कालः जरा भी न घबराएं नौकरी खोने वाले
– आर.के. सिन्हा
कोरोना का कठिन काल न मालूम कब खत्म होगा। इसने सारी दुनिया को तरह-तरह से संकट में डाल रखा है। लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। रोज ही पता चलता है कि फलां-फलां कंपनी ने अपने कर्मियों को नौकरी से हटा दिया। फिलहाल सरकारी नौकरियों के अलावा सभी नौकरियों पर संकट के बादल हैं। यह जरूरी नहीं है कि कौन इंसान किस पद पर काम कर रहा है। सभी को अपनी नौकरी जाने का खतरा सता रहा है। यह निश्चित रूप से आज के दिन एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। सच में कोरोना ने पूरी देश-दुनिया को बदल दिया है। कभी सोचता हूँ कि हमने इस तरह के कौन से पाप किए थे कि हमारे जीवनकाल में ही कोरोना आ गया। इसके दुष्प्रभावों से तो दुनिया का हरेक इंसान परेशान है। इससे सबको मिलकर ही लड़ना होगा। जबतक इसकी कोई वैक्सीन नहीं आ जाती तबतक इसके साथ ही हमें रहना सीखना होगा। इसके अतिरिक्त कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है।
याद रखें कि संकट काल ही हमें अवसर भी प्रदान करता है। सामान्य और बेहतर स्थितियों में इंसान आराम से जिंदगी गुजारता रहता है। पर जब हालात बिगड़ते हैं तभी तो इंसान हाथ-पैर मारता है। जिन लोगों की नौकरियां कोरोना के कारण जा चुकी हैं, उन्हें घबराने की कोई विशेष जरूरत नहीं है। उन्हें घबराने से कुछ मिलेगा भी नहीं। उन्हें अब तुरंत अपना कुछ छोटा-मोटा काम-धंधा शुरू करने के बारे में सोचना होगा। वैसे भी ये दौर सिर्फ नौकरी करके गुजारा करने का नहीं रहा। अब तो आप तब ही अपने को किसी बड़े झटके से बचा सकते हैं, जब आप कम से कम दो काम कर रहे हों। जो लोग मात्र नौकरी के सहारे रहते हैं, उनके लिए अब वक्त शायद निकल चुका है। उन्हें अब अपने को बदलना होगा। आप खुद अपने आसपास ही देख लें। अपने मित्रों और संबंधियों को देख ही लें। आप पाएंगे कि अधिकतर लोग कोई नियमित नौकरी नहीं कर रहे हैं। वे अपना ही कुछ काम करके परिवार को आगे लेकर जा रहे हैं।
देश में साल 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न 5.42 करोड़ लोगों ने भरा था। सबसे अधिक आयकर रिटर्न भरने वालों में नौकरीपेशा लोग थे। एक मोटे अनुमान के अनुसार इनमें से 70 फीसद तो नौकरीपेशा लोग ही थे। तो समझ लें कि 130 करोड़ की आबादी वाले देश में बहुत ही कम लोग अपना रोजगार करते हैं। अधिकतर अपना कोई काम-धंधा नहीं करते हैं।
बहुत साफ है कि अब जिनकी नौकरियां कोरोना की भेंट चढ़ गई हैं उन्हें भी कुछ अपना काम करने के बारे में जल्द सोचना होगा। फिलहाल अगले कुछ वर्षों में तो बाजार में कम ही नौकरियां आएंगी। आपको यह देखना होगा कि आप किस काम को कायदे से जानते हैं। इसी क्षेत्र में अपने लिए अवसर तलाशें। देखिए कि कोरोना काल के बाद मास्क, सेनिटाइजर और दूसरे कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जरूरी समान तेजी से बिकने लगे हैं। इनकी हर स्तर पर मांग बढ़ी है। क्या इनके उत्पादन में आप अपने लिए अवसर देख रहे हैं? अनेक लोग इन उत्पादों को बनाने और बेचने के काम से जुड़ गए हैं। जो बना नहीं सकते, बेचने में लग गये हैंI
अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो साल 2020-21 के आम बजट में देश में ज्यादा से ज्यादा नौकरियों को सृजित करने पर जोर दिया गया था। यह समय की मांग भी थी। बजट प्रस्तावों में नौकरियों को सृजित करने वाली योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया था। बजट प्रस्तावों से शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि क्षेत्रों में लाखों नौकरियों के सृजित होने की उम्मीद भी पैदा हुई थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा भी था कि शिक्षा और नर्सिंग के क्षेत्र में सबसे ज्यादा नौकरियां आएंगी। हेल्थ सेक्टर तो लाखों लोगों को रोजगार दे ही रहा है। इस कोरोना काल में भी कम से कम हेल्थ सेक्टर में किसी की नौकरी तो नहीं ही गई होगी। देखा जाए तो हर आम बजट में नौजवानों को बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करवाने पर फोकस रखा जाता है। पर कोरोना ने सरकार की तमाम योजनाओं के आगे अवरोध खड़े कर दिए हैं। अब सरकार का पहला लक्ष्य कोरोना को हराना है। पर ये काम एक-दो दिन में तो नहीं होगा। इसमें वर्षों की मेहनत लगेगीI
इसके साथ ही कोरोना ने पर्यटन क्षेत्र का तो पूरी तरह सत्यानाश करके रख दिया है। इसमें रोजगार के बड़े अवसर पैदा होते थे। पर लॉकडाउन में कोई घूमने कहां जाएगा। हर तरफ भय का वातावरण बना हुआ है। पिछले बजट में पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए 25,00 करोड़ रुपए रखे गए थे। भारत में पर्यटकों के आने की तादाद भी लगातार बढ़ रही थी। रोजगार भी बढ़ रहे थे। पर अब तो इस सेक्टर को भी नए सिरे से खड़ा करना होगा।
कोरोना के कारण कारोबार और उद्योग धंधे को जो नुकसान हुआ है, नौकरियां और आजीविका जिस पैमाने पर खत्म हुई है और खेती किसानी जैसे खत्म हुई है, उसके बाद तो बड़े पूंजीपतियों के पास भी वर्किंग कैपिटल नहीं है। वे भी संकट में हैं। लॉकडाउन के बाद बाजार खुल भी रहे हैं, तो वहां पर ग्राहक नहीं हैं। पर धीरे-धीरे आने लगेंगे। हालात भी बेहतर होने लगेंगे। अब जिनकी नौकरियां गई हैं उन्हें सिर्फ नई नौकरी की तलाश में ही नहीं लगे रहना चाहिए। उन्हें अपने करियर के विकल्प खुले रखने होंगे। वे भगवान के लिए सिर्फ नौकरी ही न खोजें। वे कोई छोटा ही सही बिजनेस करें। एकबार इस तरफ सोचें तो सही। सरकार अब युवाओं को अपना कोई काम शुरू करने के लिए मुद्रा लोन देती है। अभी तक 19 करोड़ नौजवानों को मुद्रा लोन दिए जा चुके हैंI सरकार का लक्ष्य 30 करोड़ लोगों को लोन देने का है ताकि रोजगार बढ़ाया जा सके। मुद्रा लोन देश के युवाओं और नवयुवतियों की सोच और किस्मत बदल सकता है। जिसने एकबार अपना कोई बिजनेस चालू करने के लिए लोन लिया हो वह इंसान फिर नौकरी की तरफ नहीं भागेगा। वह तो बिजनेस ही करेगा। यकीन मानें कि अगर इन नए उद्यमियों का काम धंधा थोड़ा चल पड़ा तो ये कम-से-कम एक-दो लोगों को भी रोजगार दे ही देंगे। यानी एक झटके में देश की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी और देश कोरोना के बड़े झटके से भी उबर जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)