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सपा राज में विकल्प खंड, गोमती नगर, लखनऊ में 200 करोड़ रुपये का जमीन घोटाला!

नई दिल्ली,11 अगस्त (हि.स.)। विकल्प खंड गोमती नगर में प्लाट संख्या आर-6/8 से आर -6/1-1,आर-6/1-2 तथा आर 6/10-1 से आर -6/10-3 तक के प्लाटों का सृजन तत्कालीन ल.वि.प्रा. उपाध्यक्ष वी.पी.सिंह ,संयुक्त सचिव जे.पी.सिंह, सचिव रेखा गुप्ता ,डाटा आपरेटर संजीव कुमार, प्रोग्रामर एनालिस्ट राघवेन्द्र मिश्रा, चीफ टाउन प्लानर सीपी शर्मा सहित मोहन यादव, अनिवेश कुंवर , के.एल. मीना, के.के.सिंह,प्रदीप कुमार श्रीवास्तव आदि अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत एवं आवंटियों के मध्य हुई दुरभि संधि से उपरोक्त वर्णित 28 भूखंडों का सृजन अर्बन बिल्डिंग एंड डवलपमेंट एक्ट,1973 के प्रावधानों के विपरित भू-उपयोग परिवर्तित करके किया गया। जिसका उद्देश्य शासन स्तर के उच्चश्रेणी के अधिकारियों एवं राजनीतिक पहुंचवाले व्यक्तियों को अनिमित रूप आवंटित किया जाना था। उपरोक्त 28 बड़े -बड़े भूखंड निम्नलिखित 28 व्यक्तियों को अनियमित रूप से आवंटित किया गया- 

स्वर्णदास बागला आईएएस, सरला, शिवी कुमार, कमल भोजवानी, पेसुराम, अनीता सिंह व सुभाष चन्द्रा, अमित व अरूना मित्तल ,बालक राम, शिवानी व पंकज, शिव सिंह यादव, प्रीती चौधरी,कैलाशी देवी,सरोज चौधरी, एस.रस्तोगी, सी.पी.शर्मा, दुलारी देवी, ओंकार सिंह, नवनीत सिकेरा,अफसर शब्बीर खान,रिचा मिश्रा, जोगेन्द्र सहाय, राजेश, आर.एस.एस.रावत, बृजेश कुमार सिंह और अलिया खातून। इसमें मुलायम सिंह यादव के समधी व तमाम अफसरों को 500 वर्ग मीटर से अधिक तक के प्लाट आवंटित किये गये हैं।

राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जब मायावती का राज आया तो उन्होंने इस घोटाले की जांच के लिए तत्कालीन आयुक्त लखनऊ मंडल, विजय शंकर पांडेय को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया। जिन्होंने जांच करके 84 पेज की रिपोर्ट दिनांक 25-09-2007 को जमा कर दी। जिसमें उन्होंने राजनेताओं, अफसरों की मिलीभगत से कम दर पर अनुचित तरीके से जमीन आवंटित कराने से उस समय राज्य सरकार को, जमीन के तबके सर्किल रेट के हिसाब से लगभग 2 करोड़ 88 लाख रुपये ( आज के हिसाब से 200 करोड़ रुपये से अधिक ) का नुकसान पहुंचाने की रिपोर्ट दी थी। लेकिन उस रिपोर्ट पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जो अफसर, नेता, उनके रिश्तेदार मिलीभगत से गलत तरीके से जमीन अपने नाम एलाट कराये वे मौज कर रहे हैं। इस बारे में चर्चित वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने उस जांच रिपोर्ट की प्रति लगा कर 5 पेज का एक आवेदन, प्राथमिकी दर्ज करने, कार्रवाई करने के लिए , 23 -07-18 को गोमती नगर थाने में दी थी। लेकिन थानेदार ने प्रथमिकी दर्ज नहीं की। इस बाबत नगर पुलिस अधीक्षक को लिखने के बावजूद मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। तब वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 08-08-2018 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, लखनऊ की कोर्ट में याचिका लगाई। जिस पर न्यायालय ने गोमती नगर थाने को जांच आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए दिनांक 18-08-2018 को सुनवाई की तिथि निर्धारित की है। 

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