सपा-कांग्रेस पर भड़की माया , गठबन्धन को बताया नापाक.
लखनऊ, 29 जनवरी = बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के चुनावी गठबंधन को दोनों पार्टियों की घोर स्वार्थ की राजनीति का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि ’दिल मिले ना मिले, हाथ मिलाते रहिये’ के छलावे की तर्ज़ पर इस प्रकार की नुमाइशी गठबंधन से अप्रत्यक्ष तौर पर किसान-विरोधी व बड़े-बड़े पूंजीपतियों की समर्थक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फ़ायदा पहुंचाना एक साज़िश है। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश की आमजनता को इनके बहकावे में नहीं आकर काफी सतर्क रहने की ज़रूरत है।
मायावती ने रविवार को एक बयान में कहा कि वैसे तो सपा-कांग्रेस के इस गठबंधन को भाजपा को यहां सत्ता में आने से रोकने के लिये उठाये कदम के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन यह पूरी तरह से छलावा है। वास्तव में यह गठबंधन एक नापाक गठबंधन है जो भाजपा के अपने नफे-नुकसान को देखते हुये, उसी के इशारे पर बसपा की सरकार बनाने से रोकने के प्रयास के तहत ख़ासकर सपा के प्रयास से ही किया गया है।
मायावती ने कहा कि सपा का नेतृत्व सी.बी.आई. के मार्फत भाजपा के शिकंजे में है। यह बात स्वयं सपा के पूर्व प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी बार-बार सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं। इसके अलावा सपा और भाजपा की आपसी मिलीभगत भी किसी से छिपी नहीं रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सपा सरकार में काम कम और अपराध व साम्प्रदायिक दंगे ही ज़्यादा बोलते रहे है, फिर भी कांग्रेस पार्टी मुंह की खाने को तैयार है तो इसे अवसरवाद की राजनीति नहीं तो और क्या कहा जायेगा।
बसपा मुखिया ने कहा कि सपा सरकार का मुखिया एक ’’दागी चेहरा’’ घोषित हुआ, लेकिन अब कांग्रेस पार्टी उसी दागी चेहरे को अपना चेहरा बनाकर व उसके आगे घुटने टेक कर चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 के मुज़फ्फरनगर के साम्प्रदायिक दंगों की दोषी सपा सरकार के साथ कांग्रेस का गठबंधन उसी प्रकार से घिनौनी राजनीति है जैसा कि वर्ष 2002 के गुजरात में नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा प्रायोजित साम्प्रदायिक दंगे की सरकार को सब कुछ माफ करके उसके साथ समझौता करके चुनाव लड़ना।
मायावती ने कहा कि ऐसा करके कांग्रेस ने प्रदेश में उसके अपने शासनकाल में हुये भीषण मुरादाबाद व मेरठ के हाशिमपुरा-मलियाना आदि दंगों की भी याद लोगों के ज़ेहन में ताज़ा कर दी है, जिसे आज तक भी नहीं भुलाया जा सका है और न ही इन मामलों में दोषियों को सजा व पीड़ितो को न्याय ही मिल पाया है।