‘वोटकटवा’ दलों का गुलदस्ता तैयार कर रहे है ‘छोटे चौधरी’
नई दिल्ली, 26 दिसम्बर- उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने के लिए धर्मनिरपेक्ष दलों के बीच गठजोड़ की पटकथा मुकम्मल नहीं हो पा रही है। सपा के साथ गठजोड़ की कोशिशों में जुटे ‘छोटे चौधरी’ के नाम से मशहूर रालोद प्रमुख चौ. अजित सिंह ने मुलायम सिंह यादव तक कई माध्यमों से गठजोड़ की चाहत जाहिर कर दी है, किंतु सपाई कुनबे की अंदरूनी कलह के चलते मामला अभी पटरी पर नही आ रहा।
सपा के साथ गलबहियां की जुगत में लगे छोटे चौधरी ने भी अब नेताजी के घरेलू कलह के मजमून को दीवार पर लिखी इबारत की तरह पढ़ लिया है। सो, छोटे चौधरी भी उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी जमीन बरकरार रखने के लिए सूबे में मामूली वजूद वाले दलों को एकजुट करने में शिद्दत से जुट गए हैं।
छोटे चौधरी की ओऱ से तैयार किए जा रहे वोटकटवा दलों के इस गुलदस्ते में तकरीबन दर्जनभर पार्टियां हैं। जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू), जनता दल-सेक्यूलर (जद-एस), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), बीएस-4, समानता दल, समानतावादी रिपब्लिकन पार्टी, भारतीय समाज पार्टी, जयहिन्द पार्टी, राष्ट्रीय वंचित समाज पार्टी और भारतीय जन क्रांति पार्टी को लेकर अजित सिंह एक नए गठजोड़ को आकार देने में लगे हैं।
रालोद महासचिव त्रिलोक त्यागी ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बातचीत में कहा कि सपा के साथ गठजोड़ को लेकर लग रहे कयास निराधार हैं।फिलहाल सपा के साथ अभी इस दिशा में कोई बातचीत नहीं हुई है। रालोद अपने दम पर चुनाव में ताल ठोंकने को तैयार है। साथ ही कई दलों को लेकर एक गठजोड़ की दिशा में भी हमारी बातचीत चल रही है। वहीं, जद-यू नेता के.सी. त्यागी ने कहा कि राजनीति में संभावनाएं सदैव बरकरार रहती हैं और नए प्रयोग भी होते हैं।
बहरहाल, जाटलैंड कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छोटे छौधरी की अच्छी पकड़ रही है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह के वारिस होने के नाते अजित सिंह की इस इलाके में किसानों और आम जनता के बीच अच्छी पैठ है। किंतु, पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के कारण छोटे चौधरी अपनी सीट तक न बचा पाए। अब जबकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आहट तेज हो गई है, अजित सिंह भी अपना वजूद बचाने के लिए छोटे दलों को लामबंद करने में जुट गए हैं।