राजपथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी में दिखेगी रामगढ़ की नाट्यशाला और मेघदूत के साथ कालिदास
नई दिल्ली, 22 दिसम्बर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ की झांकी एक बार फिर गणतंत्र दिवस मुख्य परेड में राजपथ पर अपनी कला और संस्कृति की खूशबू बिखेरेगी। रामगढ़ की पहाड़ियों में स्थित भारत की प्राचीन नाट्यशाला पर आधारित छत्तीसगढ़ की झांकी को रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय समिति ने शुक्रवार को स्वीकृति प्रदान कर दी।
जनसंपर्क विभाग के विशेष सचिव राजेश कुमार टोप्पो ने बताया की 30 राज्यों के बीच कड़ी प्रतियोगिता और कई चरणों से गुजरने के बाद अन्तिम रूप से छत्तीसगढ़ का चयन हुआ है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की झांकी में रामगढ़ की पहाड़ियों में महाकवि कालिदास द्वारा रचित मेघदूत को भी प्रदर्शित किया जाएगा। राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ की झांकी लगातार मुख्य परेड में शामिल होती रहीं है और वर्ष 2006, 2010 और 2013 में राज्य की झांकी ने पुरस्कार भी जीते हैं।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की झांकी में देश की सबसे पुरानी नाट्यशाला को प्रदर्शित किया गया है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में रामगढ की पहा़ड़ियों में स्थित यह प्राचीन नाट्यशाला 300 ईसवी पूर्व की है। यहां प्राप्त शिलालेख बताते हैं कि इस नाट्यशाला में क्षेत्रीय राजाओं द्वारा नाटक और नृत्य उत्सव आयोजित किये जाते थे। दूसरे राज्यों से कलाकार आकर यहां अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते थे। वसंत पूर्णिमा की रात यहां पर काव्य गोष्ठी का आयोजन होता था, जिसमें विख्यात कवि भाग लेते थे। कालिदास ने अपने प्रसिद्ध काव्य मेघदूत की रचना इसी स्थान पर की थी, जिसमें उन्होंने बादलों के माध्यम से प्रेम के संदेश को पहुंचाने का चित्रण किया है।