बोईसर विधान सभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला ,भाजपा के संतोष जनाठे ने बढाई शिवसेना की मुश्किलें , आठ लोग आजमा रहे है अपनी किस्मत
संजय सिंह ठाकुर ,पालघर 11 अक्टूबर : पालघर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली बोईसर विधान सभा सीट पर शिवसेना के विलास सुकुर तरे, बहूजन विकास आघाडी के राजेश रघूनाथ पाटील और भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ रहे संतोष जनाठे में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। इन तीन उम्मीदवारों समते इस सीट से मनसे से दिनकर दत्तात्रेय वाढाण ,बहूजन समाज पार्टी से सूनिल दशरथ गुहे , वंचित बहूजन आघाडी से प्रा.रजेसिंग मंगा कोळी , संषर्ष सेना से रुपेश रामचंद्र धांगडा, भारतीय ट्रायबल पार्टी से श्याम अनंत गवारी यह आठ लोग अपनी किस्मत आजमा रहे है।
- भाजपा के संतोष जनाठे ने बढाई शिवसेना के विलास तरे की मुश्किलें
- विलास तरे के पार्टी छोड़ने पर हितेंद्र ठाकुर ने जाहिर की खुशी
- आठ लोग आजमा रहे है अपनी किस्मत
- शिवसेना के विलास सुकुर तरे, बहूजन विकास आघाडी के राजेश रघूनाथ पाटील
- और भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ रहे संतोष जनाठे में त्रिकोणीय मुकाबला
बता दे की पालघर लोकसभा सिट के अंतर्गत आने वाली बोईसर विधानसभा सिट एसटी समाज के लिए रिजर्व सिट है.इस विधानसभा क्षेत्र में स्थानिक मतदाताओ समेत बड़ी संख्या में हिंदी भाषी व अन्य वोटर निर्णायक भूमिका है. यह विधान सभा क्षेत्र बोईसर से लेकर नालासोपारा तक फैला हुवा है इसी विधान सभा में तारापुर एमआईडीसी जैसा प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र भी है. इस विधान सभा क्षेत्र में टोटल 3,15,400 वोटर है जिसमे महिला 1 ,44, 072 पुरुष 1,71,302 व 26 अन्य मतदाता सामिल है.
- इस विधान सभा क्षेत्र में टोटल 3,15,400 मतदाता
- बविआ छोड़कर शिवसेना से चुनाव लड़ रहे है विधायक विलास तरे
- आम मतदाताओ में विलास तरे को लेकर रोष
- दस साल में चिकित्सा ,सडक ,पिने का पानी जैसी मुलभुत सुबिधा नहीं मिलने से और जीरो विकास काम से मतदाता है नाराज
- तरे को निष्क्रिय विधायक बता कर विरोधियो ने बनया चुनावी मुद्दा ….
2009 में हुए परिसीमन के बाद बनी इस सीट पर 10 सालो से बहुजन विकास अघाड़ी के विलास तरे शिवसेना के उम्मीदवार को हराकर विधायक चुनकर आरहे है .लेकिन इस चुनाव में विलास तरे बविआ को छोड़कर शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है .
वही इस चुनाव में बविआ ने रजेश पाटिल को अपना उम्मेदवार बनाया है जबकि शिवसेना ,भाजपा आरपीआई महायुति के सिट समझौते यह सिट शिवसेना के खाते में जाने से काफी महीनो से इस सिट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे भाजपा के संतोष जनाठे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है जिसके कारण शिवसेना की मुश्किलें बढ़ गई है .और संतोष जनाठे की वगावत विलास तरे को महंगी पड सकती है .
इस सिट पर 10 साल से विधायक चुनकर आरहे विलास तरे विकास काम करने में फिसड्डी साबित हुए है .जिसके कारण विलास तरे एक निष्क्रिय विधायक के रूप में देखे जा रहे है जिसे विलास तरे के प्रतिद्वंदी उम्मीदवरों ने अपना चुनावी मुद्दा बनाया है।
आम जनता का क्या मुड है …
इस विधान सभा क्षेत्र के आम मतदाताओ में विलास तरे को लेकर रोष देखने को मिल रहा है ,उनका कहना है की इस विधान सभा क्षेत्र से हम लोगो ने तरे को दो बार चुनकर भेजा लेकिन वह हमारे सुख दुःख में कभी काम नहीं आते और इस विधान सभा क्षेत्र का विकास काम जीरो है यहा की सडको की हालत हमेशा खस्ता रहती है .जित के जाने के बाद वह कभी अपना चेहरा दिखाने तक नहीं आते जब चुनाव आता है तभी आते है ऐसा विधायक हमारे किस काम का .
वही जब इन मुद्दों को लेकर हमने जब विलास तरे से उनके मोबाईल पर फोन करके उनका पक्ष जानने की कोशिश किया तो उन्हों ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा की हमने जो विकास काम किया है उसका लिस्ट मै मेरे पीए माली को देने के लिए बोलता लेकिन पूरा दिन बीत जाने के बाद उनके माली का कोई जबाब नहीं आया .
विलास तरे के पार्टी छोड़ने पर हितेंद्र ठाकुर ने जाहिर खुशी
विलास तरे द्वारा बविआ छोड़कर शिवसेना का दामन थामने के बाद बविआ के अध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अच्छा हुवा विलास तरे हमारी पार्टी छोड़ कर चले गए इस बात लेकर मै और मेरी पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता सभी खुश है .