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बर्फबारी ने डाली लोहड़ी की रौनक में खलर.

शिमला, 13 जनवरी=  हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में हाल ही में हुई बर्फबारी का असर लोहड़ी पर्व पर भी देखा जा रहा है। लोहड़ी पर ग्राहकों से भरे रहने वाले राजधानी शिमला के बाजारों में इस बार चहल-कदमी कम ही देखी जा रही है। इसका कारण यहां की सड़कों और रास्तों पर जमी बर्फ की मोटी परत है।

शिमला में बीते 6 और 7 जनवरी को रिकार्ड दो फीट से अधिक बर्फ गिरी थी। भारी बर्फबारी ने पिछले 25 सालों के रिकार्ड को तोड़ दिया था। बर्फबारी के कारण शिमला की कई सड़कें अभी भी अवरूद्व हैं और बिजली-पानी ठप्प है।

लोअर बाजार के कारोबारी प्रवीण ने बताया कि पिछले दिनों हुई बर्फबारी से ये पर्व प्रभावित हुआ है और बाजारों में पहले वर्षों के मुकाबले भीड देखने को नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि कई रास्तों से बर्फ को अभी तक नहीं हटाया गया है। हिमपात के एक सप्ताह बाद भी कई सड़कें व रास्ते बंद हैं। लिहाजा यहां के बाजारों में मुंगफली, गच्चक, रेवड़ियों और अन्य चीजों की खरीददार के लिए लोगों की भारी भीड़ इस बार नहीं देखी जा रही है।

इस बीच राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोहड़ी पर्व के अलग अलग ढंग से मनाए जाने की परम्परा है। चम्बा में लोहड़ी के मौके पर रात्रि के समय राजमढ़ी से मशाल जुलूस निकलता है जो चम्बा शहर में स्थित सभी 14 मढ़ियों की परिक्रमा के बाद समाप्त होता है। यह परम्परा राजकाल से चली आ रही है और चम्बा के लोग इसे आज भी जीवित रखे हुए हैं।

स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति की लाहौल घाटी के देवता आज से स्वर्ग प्रवास पर चले गए हैं और घाटी में भूत-प्रेतों का विचरण शुरू हो गया है। ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी के दिन से देवता प्रवास पर जाते हैं और बैसाखी के दिन वापिस आते हैं। घाटी में लोहड़ी के दिन से ग्राम देवता और देवालयों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं जिन्हें बैसाखी के दिन खोला जाता है। कपाट बंद करने से पूर्व मंदिरों में विधिवत पूजा अर्चना की गई।

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