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पूर्व मुख्य सचिवों ने ‘‘मावरिक्स ऑफ मसूरी’’ पुस्तक पर किया विचार-विमर्श

देहरादून, 17 फरवरी (हि.स.)। दून पुस्तकालय एवं रिसर्च सेंटर देहरादून द्वारा शनिवार को डॉ. एम.रामचंद्रन (उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव) द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘मावरिक्स ऑफ मसूरी’’ पर मंथन सभागार में चर्चा की गई। इस दौरान पुस्तक में उठाए गए विभिन्न मुद्दों के विश्लेषण और अंतर्दृष्टि पर विचार-विमर्श किया गया।

इस पुस्तक में सिविल सेवा के अनुभवों, विभिन्न स्तरों पर सरकार के कामकाज को दिखाया गया हैं। पुस्तक में लेखक के व्यक्तिगत अनुभव से जुड़ी छोटी-छोटी घटना, सरकार में विभिन्न स्तरों पर उनकी विभिन्न स्थानों में पोस्टिंग आदि शामिल हैं।

इस दौरान उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव आई.के. पांडे, एन. रविशंकर, सी.एस. नपलच्याल, पूर्व प्रमुख सचिव विभापुरी दास और दून पुस्तकालय एवं अनुसंधान केंद्र के निदेशक डाॅ. बी.के. जोशी उपस्थित थे। 

डॉ. रामचंद्रन ने राज्य में अपने चुनौतीपूर्ण कार्यों को याद करते हुए कहा कि पहली बार वे उत्तरकाशी में कमिश्नर गढ़वाल, राज्य के अस्तित्व में आने के बाद शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट कमिश्नर एवं कार्यकाल के आखिर में राज्य के मुख्य सचिव के रूप में बुनियादी ढांचे की दृष्टि को देखते हुए विभिन्न विश्वविद्यालयों की स्थापना और देहरादून के नए हवाई अड्डे का विकास किया। उन्होंने अपने सभी अनुभवों से युवा पीढ़ी के अधिकारियों को संदेश दिया कि कैसे वे चुनौतियों को अवसरों में बदलें।

पुस्तक में लेखक द्वारा सिविल सेवा के रूप में सामने आने वाली चुनौतियों को दर्शाया गया है और आम लोगों के हितों के लिए सरकार और प्रशासन को किस तरह काम करना चाहिए, उस पर भी विशिष्ट सुझाव दिये गये हैं। यह पुस्तक सिविल सेवक के अनुभवों का एक संग्रह है, जो विनम्र स्वभाव के साथ केन्द्र में सचिव और राज्य में मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत रहे।

इस पुस्तक में सुझाव दिए गए हैं कि शासन में कहां बदलाव की आवश्यकता है और किस तरह से आम व्यक्ति की परेशानी खत्म हो सकती है। यह किताब आज के संदर्भ में काफी प्रासंगिक है, जब आज हर व्यक्ति सिस्टम में रहने लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। इस पुस्तक में लेखक द्वारा बताया गया है कि पेशेवर योग्यता, कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत द्वारा शासन में सुधार किया जा सकता है।

डॉ.एम.रामचंद्रन जैसे प्रशासनिक लीडर की यादें युवा सिविल सेवकों को प्रेरणा का स्रोत प्रदान करती हैं। यह पुस्तक सभी सिविल सेवकों को यह महसूस कराती है कि कठिन से कठिन बाधाओं और विकट चुनौतियों के बावजूद वे अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

लेखक डाॅ. एम. रामचंद्रन यूपी कैडर के 1972 बैच के हैं, जो 38 साल तक काम करते हुए 2010 में सेवानिवृत्त हुए थे। वे उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव बने और शहरी विकास मंत्रालय में सचिव पद पर रहे।

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