नई दिल्ली, 19 जुलाई : केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) की अध्यक्ष वनजा सरना ने बुधवार को यहां कहा कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की दर में तब तक कोई बदलाव नहीं किया जाएगा जब तक कोई ठोक कारण सामने नहीं आता।
उनका सीधा इशारा कपड़ा क्षेत्र की ओर था। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक कुछ ऐसा नहीं होता जिसे सही ठहराया जा सके जब तक कोई अनियमितता नहीं आती, मुझे नहीं लगता कि इस समय किसी दर पर विचार करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि उद्योग जगत अब भी किसी नियम, दर और कानून पर विचार की बात कर सकता है उसके पास समय है। लेकिन जीएसटी दर में कटौती की मांग करना जब तक कि कोई अनियमितता न हो, उसे ठीक किया जाना हो और कुछ छूट रहा हो उसे स्वीकारा नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि ‘‘मुद्दा यह है कि कपड़ा क्षेत्र को पहली बार कर दायरे में लाया गया है। ऐसे में जो कोई इसके दायरे में आयेगा उसे चुभन होगी।’’
उल्लेखनीय है कि सरकार ने मंगलवार को कपड़ा क्षेत्र में जीएसटी की दर को शून्य किये जाने से इनकार करते हुए कहा था कि इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट चैन प्रभावित होगी और स्थानीय उद्योग को आयात सस्ता होने के चलते नुकसान उठाना पड़ेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘आम तौर पर, जीएसटी दरों पूर्व-जीएसटी कर के बराबर या उससे कम हैं और इसलिए, कपड़े की कीमत ऊपर जाने की संभावना नहीं है।’’
उल्लेखनीय है कि जीएसटी के लागू होने के बाद से ही कपड़ा व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं। जिसके चलते दो सप्ताह के अंतराल में देशभर के कपड़ा व्यापार को अब तक करीब 40 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। अकेले गुजरात की बात की जाए तो वहां इस हड़ताल से अब तक 10 हजार करोड़ के नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
हालांकि सरकार के आश्वासन के बाद सूरत के व्यापारियों ने अपनी दो सप्ताह चली हड़ताल कल वापस ले ली थी।