नई दिल्ली, 20 जनवरी= राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मोदी सरकार के उस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है जिसमें रेल बजट को आम बजट के साथ पेश करने का प्रस्ताव है। राष्ट्रपति ने भारत सरकार के कामकाज का आवंटन नियम 1961 में संशोधन को मंजूरी दे दी। अब आर्थिक मामलों का विभाग दोनों बजट तैयार करेगा। 1924 से रेल बजट अलग से पेश करने की परंपरा शुरू हुई थी।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2017-18 के लिए आम बजट में रेल बजट का विलय करने का सितम्बर 2016 में निर्णय लिया था। रेल राज्यमंत्री राजेन गोहैन ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया था कि नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों पर 2017-18 के लिए आम बजट में रेल बजट का विलय करने का निर्णय लिया गया।
केंद्र सरकार आम बजट 1 फरवरी को पेश करेगी। बजट सत्र की शुरुआत जनवरी से की जा सकती है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी बजट की तैयारी की चर्चा शुरू कर चुके हैं। लंबे समय से रेल बजट को आम बजट का हिस्सा बनाने के कयास लगाए जा रहे थे। सरकार का कहना है कि इससे समय की बचत होगी। इस सुधार की जरूरत अरसे से महसूस की जा रही थी। इससे बजट में किए गए प्रावधानों को जल्द लागू करने में सहूलियत होगी।
वित्तीय मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने हाल में ही कहा था कि आम बजट को उसकी तय तिथि से एक महीना पहले पेश करने के पीछे का मकसद पूरी बजट प्रक्रिया को 31 मार्च तक पूरा करना है। ताकि नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही बजट पर अमल शुरू हो सके।