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हिन्दू राष्ट्र के लिए सत्तारुढ़ दल ने दी सरकार छोड़ने की चेतावनी

काठमांडू, 18 अप्रैल (हि.स.)। पार्टी के विधान से हिन्दू राष्ट्र और राजसंस्था हटाए जाने से खफा सत्तारुढ़ राष्ट्रीय प्रजातन्त्र पार्टी (राप्रपा) निर्वाचन आयोग के निर्णय के विरोध में आन्दोलन करेगी।

आयोग के निर्णय पर पुनर्विचार और संशोधन नहीं होने पर राप्रपा सरकार से बाहर होने और चुनाव में भाग नहीं लेने का चेतावनी दी है। राप्रपा की नाराजगी से नेपाल के सत्ता समीकरण पर गम्भीर असर पड़ सकता है। इस पार्टी का बहिर्गमन से सरकार गिर सकती है। वैसे भी 14 मई 2017 के लिए तय स्थानीय तह का निर्वाचन निर्धारित समय में कराए जाने पर शंका जतायी जा रही है।

नेपाल की व्यवस्थापिका संसद में अभी कुल 597 सांसद कायम हैं, जिसमे सरकार के तीसरे बड़े साझेदार राप्रपा के पास 37 सांसद हैं। पिछले वर्ष मौजूदा प्रतिपक्षी नेकपा एमाले के अध्यक्ष केपी ओली नेतृत्व का संयुक्त सरकार पतन होने के बाद 83 सांसद बाले नेकपा माओवादी केन्द्र के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड का नेतृत्व में 05 अगस्त 2016 को कांग्रेस का साझेदारी और संयुक्त मधेशी लोकतान्त्रिक मोर्चा का सहयोग से सरकार बना था। संसद में कांग्रेस के सर्वाधिक 207 सीट है। सरकार बनाने के लिए 298 सीट चाहिए। मधेश आन्दोलन की मांग सम्बोधन में हिला-हवाली से नाराज चल रहे मधेशी मोर्चा, सरकार से समर्थन वापस लेने के दौरान राप्रपा सरकार में शामिल हुआ था।
राप्रपा के और से पार्टी अध्यक्ष कमल थापा उपप्रधान मंत्री और स्थानीय विकास एवं संघीय मामिला सम्बन्धी मंत्री के तौर पर दस मार्च 2017 को प्रचण्ड सरकार में शामिल हुए थे।

निर्वाचन आयोग ने 18 मार्च 2017 में राप्रपा के विधान से ‘राजतन्त्र सहित का प्रजातन्त्र और हिन्दू राष्ट्र’ शब्दों को हटाकर विधान स्वीकृत किया था। दो दक्षिणपन्थी दल के रूप में जानने वाली पार्टी राप्रपा नेपाल और राप्रपा के बीच 21 नवंबर 2016 को हुई एकीकरण के बाद बनी पार्टी राप्रपा के विधान में राजतन्त्र और हिन्दू राष्ट्र को स्थान दिया गया था। उस वक्त आयोग ने संविधान विपरीत का शब्दों को विधान से हटाए जाने दावा करते हुए किसी भी दल का उद्देश्य धार्मिक और साम्प्रदायिक दिखने पर उसे इन्कार करने का अधिकार आयोग के पास सुरक्षित होने की बात बताया था।

नेपाल में दलीय चुनाव चिन्ह देने का मांग करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ बाबुराम भट्टराई नेतृत्व का नयाँ शक्ति पार्टी सहित ६८ दल आन्दोलन में है। व्यवस्थापिका संहने वाला दल ही स्थानीय तह का निर्वाचन मे सहभागी होने योग्य रहने का कानून संविधान विपरीत है, कहकर ये दल आन्दोलन कर रहा है।

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