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सुप्रीम कोर्ट का आदेश : दस करोड़ रुपए और जमा कराये सुपरटेक

नई दिल्ली, 20 फरवरी (हि.स.)। सुपरटेक के नोएडा के एमरल्ड कोर्ट के फ्लैट धारकों के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को दस करोड़ रुपए और जमा करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल को निर्देश दिया कि वे फ्लैट धारकों को देने के लिए 12 फीसदी ब्याज के दर से रकम की गणना करें। इसकी गणना मिलते ही सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री समानुपातिक आधार पर फ्लैट धारकों को पैसे लौटाने का काम शुरू करेगा।

आज सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने कहा कि सुपरटेक से फ्लैट खरीदने वाले चार प्रकार के हैं। पहला जिन्होंने पूरी रकम का भुगतान कर दिया है। दूसरे जिन्होंने लोन लेकर फ्लैट खरीदा है। तीसरा जिन्होंने निवेश किया है और चौथा जिनकी ईएमआई का भुगतान बिल्डर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि छह सौ फ्लैट खरीददारों में 164 ने पैसे वापस लेने का विकल्प चुना है।

पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि फ्लैट धारकों को उनके मूलधन पर मिलने वाले ब्याज के बारे में बाद में फैसला किया जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि वो एमिकस क्यूरी को वेब पोर्टल स्थापित करने में आए खर्च के रुप में दो लाख रुपए दें।

22 सितंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर्स को निर्देश दिया था कि जो फ्लैट धारक पैसे वापस मांग रहे हैं उन्हें 14 फीसदी ब्याज के साथ पैसे लौटाएं। 

14 अगस्त 2017 को कोर्ट ने सुपरटेक को निर्देश दिया था कि वो कोर्ट में दस करोड़ रुपये जमा करे ताकि नोएडा के एमरल्ड कोर्ट के उन फ्लैट धारकों को पैसे लौटाया जा सके जो अपनी राशि वापस लेना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि वे इन पैसों को फिक्सड डिपॉजिट स्कीम में जमा कर दें। फ्लैट खरीददार बिल्डर से संपर्क कर पैसै लौटाने की अर्जी एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को दे सकते हैं।

पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हमें ऐसा लगेगा कि इन दोनों टावर्स का निर्माण कानून का उल्लंघन कर किया गया है तो हम उसे ढाहने की अनुमति देंगे । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों टावरों को अवैध घोषित कर गिराने के आदेश दिए थे| लेकिन, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी और टावर को सील करने के आदेश दिए थे। 

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