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सार्क सैटेलाइट प्रोजेक्ट पर पछताया पाकिस्तान कहा , भारत ने किया दूर

नई दिल्ली : पाकिस्तान ने सार्क सैटेलाइट प्रोजेक्ट से खुद को अलग किए जाने के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि नई दिल्ली सभी के सहयोग से उपक्रम विकसित करने का इच्छुक नहीं है. इससे पहले पाक ने यह कहते हुए खुद को इस प्रोजेक्ट से अलग कर लिया था कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है. वहीं, दूसरी तरफ, बांग्लादेश ने कहा कि भारत के इस कदम से विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा. 

पाकिस्तान ने यह दावा उस वक्त किया है, जब भारत ने पड़ोसी देशों के संचार एवं आपदा संबंधी सहयोग देने के मकसद से दक्षिण एशिया उपग्र ह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है. पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने कहा कि 18वें सार्क शिखर बैठक के दौरान भारत ने सदस्य देशों को सार्क सैटेलाइट का तोहफा देने की पेशकश की थी.

बहरहाल, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह इसका अकेले निर्माण करेगा, प्रक्षेपण करेगा और संचालन भी करेगा. उधर, बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि दक्षिण एशिया उपग्रह के प्रक्षेपण के बाद बांग्लादेश और भारत के जल, थल और वायु में सहयोग का विस्तार हुआ है.

हसीना ने कहा, ‘मेरा यह मानना है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लोगों की भलाई यहां के देशों के बीच सहयोग के कई क्षेत्रों में सार्थक संपर्क पर निर्भर करता है.’ मालूम हो कि शुक्रवार को भारत ने सार्क देशों के बीच संचार और संपर्क को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण एशिया सैटेलाइट जीसैट-9 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया.

इस सैटेलाइट को इसरो ने बनाया है. इस कामयाबी के बाद सार्क देशों के 6 राष्ट्राध्यक्षों ने एक साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दुनिया को संदेश दिया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जीसैट-9 से भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान, भूटान और मालदीव को फायदा होगा. इससे अंतरिक्ष में दक्षिण एशिया की ताकत बढ़ेगी.

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इस तरह सार्क सैटेलाइट प्रोजेक्ट से बाहर हुआ पाक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सार्क सैटेलाइट का आइडिया पड़ोसी देशों के समक्ष रखा. उस समय पाकिस्तान ने इस कदम का स्वागत किया. प्रधानमंत्री के विचार पर जोश भरी प्रतिक्रिया देते हुए नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने कहा कि उनका देश इस प्रस्ताव पर रचनात्मक सुझाव देगा. हालांकि कुछ दिन बाद ही पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट में साझीदार बनने की बात कही. पाकिस्तान ने इस पर जोर दिया कि उसे इसरो की टेक्निकल टीम का हिस्सा बनाया जाए. साथ ही उसने भारत के साथ इस प्रोजेक्ट का खर्च उठाने का भी प्रस्ताव रखा, जिसे भारत ने खारिज कर दिया. इसके बाद पाकिस्तान ने मांग रखी कि सैटेलाइट का कंट्रोल का सार्क देशों को दिया जाए न कि सिर्फ इसरो के पास रहे. यही नहीं पाकिस्तान ने फिर सुरक्षा का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया, जिसे भारत ने खारिज कर दिया. इसके बाद पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया. उनकी दलील थी कि उनके पास अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है. 

12 साल है जीसैट-9 की लाइफटाइम

जीसैट को चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांचिंग पैड से लांच किया गया. इसरो ने बताया कि जीसैट-9 मिशन का लाइफटाइम 12 साल का है.

पड़ोसी देशों को भारत की ओर से उपहार

मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से सार्क सैटेलाइट बनाने के लिए कहा था, जो पड़ोसी देशों को भारत की ओर से उपहार है. साथ ही चीन के प्रभाव को क्षेत्र में कम किया जा सकेगा. बीते रविवार को मन की बात कार्यक्रम में मोदी ने घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पड़ोसी देशों को भारत की ओर से कीमती उपहार होगा. मोदी ने कहा था, ‘पांच मई को भारत दक्षिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा. इस परियोजना में भाग लेने वाले देशों की विकासात्मक जरुरतों को पूरा करने में इस उपग्रह के फायदे लंबा रास्ता तय करेंगे.

 

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