हरिद्वार, 15 अप्रैल (हि.स.)। उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि जहां आपने जन्म लिया है, जहां आप पले-बढ़े और पढ़े हैं उस क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि तथा भविष्य के विकास का केन्द्र बनाना अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानें।
भारतवर्ष की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखते हुए आधुनिकता को अपनाएं। वह शनिवार को देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के पंचम दीक्षान्त समारोह में दीक्षा प्राप्त विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के इस युग में सफलता के लिए आधुनिक तकनीक का ज्ञान आवश्यक है।
अपनी संस्कृति को मजबूत करतेे हुए आधुनिक ज्ञान और तकनीकी रूप में राज्य की उन्नति के लिए अपनी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करें। अच्छी पुस्तकों के अध्ययन की आदत के साथ ही नई सीखने की ललक और लगन को हमेशा जीवंत रखें। इससे सकारात्मक सोच, रचनात्मक और वैचारिक शक्तियां मजबूत होती हैं। नवाचार या इनोवेशन की प्रेरणा मिलती है तथा किसी एक समस्या के अनेक समाधानों का मार्ग भी खुलता है।
उपाधि प्राप्त स्नातकों तथा स्वर्ण पदक विजेताओं को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि अब आपके जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है जिसमें चुनौतयां होंगी तो मान-प्रतिष्ठा के भी अनेक अवसर होंगे। भविष्य में आने वाली किसी भी विपरीत परिस्थिति को चुनौती के रूप में स्वीकार करें। मानवीय मूल्यों के आलोक में अपने ज्ञान, विवेक, कौशल से चुनौतियों का सामना करते हुए जीवन में सफलता की ओर बढ़ें। राज्यपाल ने विश्वासपूर्वक कहा कि इस विश्वविद्यालय से शिक्षित तथा भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों से पोषित हो रही युवा पीढ़ी पूरे आत्मविश्वास से राष्ट्रनिर्माण में महत्वपूर्ण तथा सक्रिय भूमिका का निर्वहन करती रहेगी।
राज्यपाल ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा संचालित ‘सामाजिक इंटर्नशिप’ व्यवस्था को जनसामान्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने का बेहतरीन प्रयास बताते हुए उसकी सराहना की। उन्होंने विवि को सुझाव दिए कि विवि से दीक्षित जो प्रतिभाएं विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित पदों पर सेवारत हैं उनका वार्षिक समागम आयोजित करें इससे विश्वविद्यालय के नए छात्र-छात्राओं को प्रेरणा मिलेगी और संस्थान की प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होगी।
राज्यपाल ने प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों की प्रतिभागिता के लिए अनुकूल व्यवस्था व वातावरण तैयार करने का भी सुझाव दिया। इस अवसर पर नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाॅ. प्रणव पंड्या, प्रति कुलपति डा. चिन्मय पंडया, संस्कृत विश्वविद्यालय कुलपति पीयूष कान्त दीक्षित, जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन, एसएसपी कृष्ण कुमार वीके आदि उपस्थित थे।