Business.नई दिल्ली, 24 मार्च = डीजल वाहनों से प्रदूषण के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में एमिकस क्युरी ने कहा कि बड़े शहरों में खासकर घनी बस्तियों में प्रदूषण काफी खतरनाक स्तर पर है। चार पहिया वाहन निर्माताओं को पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम का पालन करना चाहिए। सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि ऑटोमोबाइल कंपनियां केवल बीएस फोर वाहन ही बनाएं और बेचें। लेकिन वे लाभ कमाने के चक्कर में बीएस थ्री वाहन बनाने में कमी नहीं कर रही हैं। सबको पता है कि सरकार का नोटिफिकेशन आज नहीं तो कल लागू होगा लेकिन उसके बावजूद वे पालन नहीं करना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें बीएस थ्री वाहन बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 27 मार्च को करेगी।
इसके पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी ऑटोमोबाइल निर्माताओं को निर्देश दिया था कि वे बीएस थ्री वाहनों के स्टॉक का विवरण दें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे जनवरी 2016 से लेकर अब तक के हर महीने के वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री से संबंधित मासिक आंकड़ा बताएं। कोर्ट ने कहा था कि 31 मार्च के बाद बीएस थ्री वाहनों की बिक्री पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर आंकड़ों को देखने के बाद ही फैसला करेगी। कोर्ट ने सोसायटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स को निर्देश दिया था कि वे ये आंकड़ा 24 मार्च तक कोर्ट को सौंपें।
दरअसल ऑटोमोबाइल कंपनी बजाज ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर कहा है कि 31 मार्च के बाद बीएस थ्री वाहनों की बिक्री रोकने का दिशानिर्देश जारी किया जाए। बजाज ने कहा है कि सरकार ने अप्रैल 2014 में बीएस फोर मानदंड लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया था। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ऑटो कंपनियों को नए फ्युएल मापदंड में परिवर्तित करने के लिए पर्याप्त समय मिला।
नोटिफिकेशन के मुताबिक 1 अप्रैल 2016 से ही बीएस थ्री वाहनों की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। इस समय सीमा को पिछले साल सरकार ने बढ़ाकर 1 अप्रैल 2017 कर दिया था। लेकिन कई ऑटोमोबाइल कंपनियां अभी भी बीएस थ्री वाहनों का इस्तेमाल कर रही हैं जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है।
बजाज की इस अर्जी का ऑटोमोबाइल कंपनी हीरो समेत कई कंपनियां विरोध कर रही हैं । कंपनियों की दलील है कि बीएस थ्री वाहनों के मैन्यूफैक्चरिंग पर रोक लगाई जानी चाहिए बिक्री पर नहीं।