वाशिंगटन, 14 सितम्बर : संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान पर हुई हिंसा को ‘मानवीय आपदा’ कहा है। साथ ही उन्होंने म्यांमार से सैन्य कार्रवाई रोकने की भी अपील की है। वहीं म्यांमार की सेना ने आम लोगों को निशाना बनाने के आरोप से इंकार करते हुए कहा, वह चरमपंथ से लड़ रही है। यह जानकारी गुरुवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
बीबीसी के अनुसार, रोहिंग्या के खिलाफ कथित हिंसा और उससे उपजे शरणार्थी संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष और इथियोपिया के राजदूत टेकेदा एलेमू ने कहा, ‘सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने राखिन प्रांत की स्थिति पर गहरी चिंता जताई।उन्होंने उस हिंसा की निंदा की जिसकी वजह से इतने लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा।’ कई पीढ़ियों से म्यांमार के राखिन प्रांत रह रहे रोहिंग्या मुसलमान अल्पसंख्यक जबकि राखिन बौद्ध बहुल है। वहीं म्यांमार रोहिंग्या को अवैध शरणार्थी मानता है और उन्हें वहां की अभी तक नागरिकता भी नहीं प्राप्त है।
म्यांमार के अधिकारियों का कहना है कि देश की नेता आंग सान सू की अगले हफ्ते 19 सितंबर को होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक अहम चर्चा में शामिल नहीं होंगी। जबकि वह इसी दिन देश को संबोधित करने वाली हैं।
एंटोनियो गुटेरेश ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हुए कहा, ‘पिछले हफ्ते बांग्लादेश भागकर आने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या एक लाख 25 हजार थी। अब यह संख्या तीन गुनी हो गई है।’ उन्होंने कहा, ‘उनमें से बहुत सारे अस्थायी शिविरों में या मदद कर रहे लोगों के साथ रह रहे हैं लेकिन महिलाएं और बच्चे भूख और कुपोषित हालत में पहुंच रहे हैं।’
विदित हो कि म्यांमार में पिछले महीने शुरू हुई हिंसा के बाद से अब तक करीब 3,79,000 रोहिंग्या शरणार्थी सीमा पार करके बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं।