संघ के वरिष्ठ प्रचारक संकटा प्रसाद पंचतत्व में विलीन
लखनऊ, 21 अक्टूबर(हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक और भारतीय किसान संघ के पूर्व संगठन मंत्री ठाकुर संकटा प्रसाद सिंह शनिवार को पंचतत्व में विलीन हुए। उनका अंतिम संस्कार लखनऊ के भैंसाकुण्ड स्थित बैकुण्ठ धाम में सम्पन्न हुआ। उन्हें मुखाग्नि उनके भतीजे अरूण कुमार सिंह ने दी।
उनकी अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए लखनवासी उमड़ पड़े। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व राज्यसभा सांसद राजनाथ सिंह ‘सूर्य’, पूर्व मंत्री लालजी टंडन, अपर महाधिवक्ता रमेश सिंह, क्षेत्र कार्यवाह रामकुमार, क्षेत्र प्रचारक शिवनारायण, अभय कुमार, मिथलेश, वीरेन्द्र सिंह, नरेन्द्र कुमार, नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री शिवप्रकाश, रमाशीष, हृदेश सिंह, प्रशान्त भाटिया, मनोजकान्त, समेत हजारों लोग मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि संकटा प्रसाद का शुक्रवार को पूर्वाह्न 10ः40 बजे लखनऊ के केशव भवन (मॉडल हाउस) में स्वर्गवास हो गया था। वे 94 वर्ष के थे। पिछले कुछ वर्षों से अस्वस्थ चल रहे थे।
उनका जन्म गाजीपुर के ग्राम ‘मई’ तहसील सैदपुर थाना सादात में कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी 23 नवम्बर, 1923 में हुआ था। ठाकुर साहब दो सगे भाई थे आपके बड़े भाई प्रसिद्ध पहलवान थे। वहां से उनके पिताजी जी श्री सत्यनारायण सिंह मीरजापुर के आमडीह गांव में जाकर बस गए, जो कि अब सोनभद्र जिले में आता है। इनकी पढ़ाई इण्टरमीडिएट तक मीरजापुर में हुई। ये 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान संघ के सम्पर्क में आये और 1944 में आरएसएस के प्रचारक के नाते जौनपुर के मडियाहूं तहसील में भेजे गए। उन्हें संघ में स्व. ठाकुर गुर्जर सिंह जी तथा स्व. माधव राव देवड़े जी ने जोड़ा। उस समय स्व. माधव राव देवड़े जौनपुर के प्रचारक रहे।
ये संघ के तहसील, जिला व विभाग प्रचारक के बाद किसान संघ के उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री, अखिल भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते दायित्वों का निर्वहन किया। संघ के प्रशिक्षण वर्ग के वे उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्य शिक्षक थे।
अखिल भारतीय किसान संघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय संगठन मंत्री जैसे दायित्व का निर्वहन करने वाले एकलौते प्रचारक रहे। वे लोकतंत्र सेनानी भी थे।
वे संघ के कर्मठ, अनुशासनप्रिय व समर्पित प्रचारक थे। अपने प्रचारक जीवन में वे कईयों को प्रचारक निकाले। 1948 में संघ पर जब प्रतिबंध लगा तो सरकार के निर्णय के खिलाफ ‘सत्याग्रह’ का नेतृत्व किया। उनका प्रवास के प्रति विशेष आग्रह होता था। वे साईकिल से गांव-गांव में प्रवास करते थे। उनके जाने से संघ परिवार समेत राष्ट्रवादी विचारधारा की अपूरणीय क्षति हुई ळें
लखनऊ के विभाग कार्यवाह प्रशान्त भाटिया ने बताया कि 23 अक्टूबर, 2017 को प्रातः 7 बजे संघ के केशव भवन (माॅडल हाउस)कार्यालय पर उनकी स्मृति में हवन-पूजन कार्यक्रम किया जायेगा।