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शिक्षा को केवल रोजगार का साधन न मानें: सीएम

देहरादून, 14 दिसम्बर (हि.स.)। शिक्षा हमारे संस्कारों, संस्कृति और जीवन को नई दिशा देती है। इसे केवल रोजगार पाने का माध्यम ने मानें। प्रधानाचार्यों एवं अध्यापकों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के शुभारंभ पर सीएम ने उक्त विचार व्यक्त किए। गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पेसलवीड कॉलेज देहरादून में प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित प्रधानाचार्य एवं अध्यापकों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ किया। 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा का संबंध केवल रोजगार तक सीमित नहीं है। शिक्षा को रोजगारपरक होने के साथ सांस्कारिक होना जरूरी है। शिक्षा सकारात्मक जीवन एवं सोच प्रदान करने वाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मन में आशा और विश्वास होना जरूरी है। यह शिक्षा के रचनात्मक संस्कार से ही संभव है। शिक्षा का मतलब सह अस्तित्व एवं पारस्परिकता है। समाज के सर्वांगीण विकास के लिए समाज के पिछड़े वर्गों को साथ लेकर चलना जरूरी है। यह सबके शिक्षा के स्तर में सुधार से ही संभव है। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा से ही अग्रणी रहा है। शिक्षा का स्तर जितनी ऊंचाई तक पहुंचेगा, उतनी ही तेजी से देश और प्रदेश का विकास होगा।

माध्यमिक शिक्षा महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने कहा कि राज्य में शिक्षा के तीव्र विकास के लिए प्रत्येक ब्लॉक में एक-एक मॉडल स्कूल विकसित किए जा रहे हैं। स्कूलों में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सीएसआर सेल का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के लिए कौशल विकास एवं व्यवसायिक शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है। शिक्षा के चहुमुखी विकास के लिए कम्प्यूटर शिक्षा, लाइफ स्किल डेवलपमेंट, योग एवं नैतिक शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा पर बल दिया जा रहा है। इस अवसर पर पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप, सीनियर वाइस प्रेसीडेन्ट डीएस मान, वाइस प्रसीडेन्ट एमसी बाइला, पुनीत मित्तल, केजी बहल, सेक्रेटरी पीपीएसए एके दास एवं अन्य शिक्षाविद उपस्थित रहे।

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