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विश्व एड्स दिवस: भारत में तेजी से कम हो रही एड्स मरीजों की संख्या

लखनऊ, 01 दिसम्बर (हि.स.)। भारत के लिए यह सुखद समाचार है कि अपने देश में एड्स के मरीजों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। एचआईवी एड्स के उपचार की नवीन विधियों और एड्स की दवाओं में बदलाव के कारण इस बीमारी की वजह से होने वाली मृत्यु दर में भी 35 प्रतिशत की कमी देखी गई है। प्रत्येक वर्ष एचआईवी एड्स के नये मरीजों में 66 प्रतिशत (2007 में 2.5 लाख से घटकर, 2015 में 8500) की गिरावट आयी हैै। 

केजीएमयू के डा. वेद प्रकाश ने बताया कि भारत में इस बीमारी के उपचार और रोकथाम में सफलता की दर, विश्व के अन्य देशों की तुलना में ज्यादा सराहनीय है। देश में कुल मरीजों की संख्या करीब 21 लाख है जो कि दुनिया में दूसरे नम्बर पर है। उत्तर प्रदेश में एचआईवी मरीजों की संख्या 123000 है तथा 64000 लोग एआरटी पर पंजीकृत हैं। बाकी मरीजों को एआरटी सेण्टर पर लाने का प्रयास चल रहा है। जिन मरीजों की दवा कम असर कर रही है, उनके लिए सेकण्ड लाईन की दवा एआरटी सेण्टर व सीओई पर उपलब्ध है। प्रदेश में करीब 400 मरीज सेकण्ड लाइन पर है। प्रदेश में साल 2017-18 में एचआईवी से संक्रमती 600 महिलाएं विभिन्न एआरटी सेण्टरों से दवाएं ले रही है। चिकित्सकों के मुताबिक एचआईवी की दवा अब ज्यादा सुरक्षित है तथा इन्हे अब दिन में केवल एक बार लेना पड़ता है। 

केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के प्रो. डी. हिमांशु ने बताया कि चिकित्सा विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में कई ऐसे मरीज भर्ती होते हैं जिनके बारे में पहले से एचआईवी एड्स की जानकारी नहीं होती है ऐसे मरीज जब विश्वविद्यालय के चिकित्सालय में भर्ती होते हैं और जांच में एचआईवी एड्स की पुष्टि होने पर केअर एंजेल नर्स द्वारा उन मरीजों की जानकारी तत्काल एआरटी सेण्टर को उपलब्ध कराई जाती है जिससे उन मरीजों के उपचार में सुविधा होती है। अब जांच में एचआईवी एड्स की पुष्टि होने के तुरन्त बाद ‘टेस्ट एण्ड ट्रीटमेंट पाॅलिसी’ के तहत उनका इलाज प्रारम्भ कर दिया जाता है। 

एआरटी प्लस सेण्टर, केजीएमयू में 7511 मरीज पंजीकृत हैं जिनमें 4813 मरीज एआरटी की दवा ले रहे हैं। करीब 300 एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिलाएं पंजीकृत हो चुकी हैं और दवा पर हैं। इनमें से केवल 5 बच्चों में एचआईवी का संक्रमण पाया गया है। एआरटी प्लस सेण्टर में करीब 94 सेकण्ड लाईन के मरीज हैं।

एड्स से बचाव संभव 

एड्स होने के लिए एचआईवी पॉजिटिव होना जरूरी है, लेकिन अगर एचआईवी पॉजिटिव हैं तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप एड्स का शिकार हो गए हैं। एचआईवी संक्रमण से एड्स की अवस्था आने में काफी वक्त लगता है। इसलिए अगर एचआईवी पॉजिटिव का पता चलते ही कुछ एहतियाज बरत ली जाएं तो एड्स से काफी हद तक बचा जा सकता है।

प्रतिरोधक क्षमता हो जाती है कमी

एचआईवी के शरीर में आने के बाद से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिसकी वजह से शरीर में कई तरह के इन्फेक्शन और बीमारियां हो जाती हैं। जब शरीर इन बीमारियों से खुद को बचा ना सके तो उसी अवस्था को एड्स कहते हैं, ऐसे में खुद को बचाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। हालांकि एचआईवी पॉजिटिव होने से एड्स की चपेट में आने के बीच के गैप को लगातार दवाईयों और इलाज से बढ़ाया जा सकता है।

राजधानी में विभिन्न कार्यक्रमों का हुआ आयोजन 

राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा एड्स से बचाव हेतु शुक्रवार को जनजागरुकता उत्पन्न करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सोसाइटी के अपर परियोजना निदेशक उमेश मिश्र ने बताया कि स्थानीय इन्ट्रीगल विश्वविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया तथा नुकक्ड़ नाटक का प्रदर्शन भी किया गया। इसके अलावा फन रिपब्लिक, वेव सिटी एवं सहारागंज माॅल में आईईसी स्टाल, क्रिस्टल गेजिंग तथा टैरोकार्ड रीडिंग के कार्यक्रम हुए। 

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