लोकसभा में साथ देगी, पर उप-चुनाव से दूर रहेगी बीएसपी : मायावती
लखनऊ (ईएमएस)। गोरखपुर और फूलपुर में हुए लोकसभा उप-चुनाव में शानदार जीत के बाद यूपी में महागठबंधन के लिए प्रयासरत समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को तगड़ा झटका लगा है। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में तो एसपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगी, लेकिन उप-चुनावों में बसपा कार्यकर्ता उस तरह से सक्रिय नहीं रहेंगे जैसे कि गोरखपुर-फूलपुर उपचुनावों में रहे थे। उल्लेखनीय है कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उपचुनावों में मिली जीत से उत्साहित सपा को उम्मीद थी कि उसे कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा के उपचुनावों में भी बीएसपी का साथ मिलेगा और वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने में सफल हो सकेगी।
मायावती के इस बयान से संकेत मिलता है कि एसपी को अब उप-चुनावों में अकेले ही उतरना पड़ेगा।
बसपा के जिला ओर जोनल कोऑर्डिनेटर्स की मीटिंग के बाद मायावती ने कहा जिस प्रकार बीएसपी का काडर गोरखपुर और फूलपुर के चुनावों में सक्रिय था, वैसा आगामी उपचुनावों में नहीं सक्रिय होगा। राज्यसभा में इकलौती सीट भी नहीं जीत पाने के तीन दिन बाद आए इस बयान से सपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आपको बता दें कि सपा के समर्थन के बावजूद बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर चुनाव नहीं जीत पाए थे। राज्यसभा चुनाव में हार के बाद मायावती ने सपा के प्रयासों के प्रति संतोष तो व्यक्त किया लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव को राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बताते हुए कहा था कि अखिलेश निर्दलीय विधायक राजा भैया के जाल में फंस गए हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर मैं अखिलेश की जगह होती तो मेरी पहली प्राथमिकता बसपा उम्मीदवार को जिताना होती।
सूत्रों के मुताबिक, मायावती ने सोमवार को बसपा पदाधिकारियों की मीटिंग में यह संदेश दिया कि 2019 में भाजपा को हराने के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट होकर लड़ना होगा। उन्होंने कहा हमने देश की भलाई के लिए सपा-बसपा गठबंधन के बारे में फैसला किया है। भाजपा लोगों को सपा-बसपा के बारे में चाहे जितना भड़काने की कोशिश कर ले लेकिन वह सफल नहीं होगी। राज्यसभा चुनावों में राष्ट्रीय लोकदल ने बसपा को समर्थन देने की बात कही थी लेकिन उसके एक विधायक का वोट खारिज हो गया। बसपा का मानना है कि ऐसा जानबूझकर भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया, ऐसे में गठबंधन की स्थिति में आरएलडी की भूमिका पर फिर से विचार करना होगा। बसपा आगामी 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के अवसर पर अपने लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करेगी।