यूपी और बिहार से होगा इलेक्ट्रिक बसों का आगाज, गरीब भी करेगा AC में सफ़र
नई दिल्ली, 15 फरवरी (हि.स.)। देश में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार डीजल और पेट्रोल के बजाए इथेनॉल और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है। सार्वजनिक परिवहन में इलेक्ट्रिक बसों के इस्तेमाल में दिल्ली के रूचि नहीं दिखाने पर अब इसकी शुरूआत उत्तर प्रदेश और बिहार से होगी। इलेक्ट्रिक बसों में कीमत कम होने से गरीब आदमी भी वातानुकूलित बसों में सफर कर सकेगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री को उन्होंने नागपुर में इथेनॉल का प्लांट दिखाने के लिए आमंत्रित किया था लेकिन मंत्री के विवादों में फंसने के कारण वह नहीं आ सके। उन्होंने बताया कि अब उत्तर पद्रेश और बिहार के मुख्यमंत्रियों से उनकी बातचीत चल रही है और जल्द ही इसके अमल में आने की संभावना है। गडकरी ने दिल्ली के प्रदूषण का मुख्य कारण पराली को बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में बड़ी संख्या में खेतों में पराली को जलाया जाता है। इससे दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है। एक टन पराली से 280 लीटर एथनोल बनता है। इलेक्ट्रिक और बायो फ्यूल के लिए देश में तकनीक और रॉ मेटेरियल उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहरों की प्रदूषण की समस्या भी इलेक्ट्रिक वाहनों से दूर होगी।
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वर्तमान में कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के कुछ भाग को छोड़कर शेष राज्यों को तत्काल 10 लाख इलेक्ट्रिक बसें मुहैया कराने में सक्षम है। मंत्रालय ने इसके लिए लंदन ट्रांसपोर्ट के साथ एक समझौता किया है। लंदन ट्रांसपोर्ट को विश्व बैंक ने मदद की है। गडकरी ने बस खरीद की प्रक्रिया और इसके परिचालन के संबंध में बताया कि प्राइवेट ऑपरेटर बस खरीदेंगे और उसको वह चलाने के लिए अपना डाईवर रख सकेंगे। हालांकि यहां कंडक्टर कार्पोरेशन का होगा। इसके लिए टिकट के दाम तय होंगे।
गडकरी ने बताया कि मुंबई की बेस्ट बसों की कीमत 110 रुपये प्रतिकिलोमीटर है। नागपुर में इथेनॉल पर एसी लग्जरी बसें चलती हैं उसकी कीमत 78 रुपये प्रतिकिलोमीटर है। गडकरी ने बताया कि इलेक्ट्रिक बस वाले अभी मात्र 50 रुपये प्रतिकिलोमीटर पर चलने को तैयार हैं। एक बस में डीजल की कीमत कितनी है और इलेक्ट्रिक की कितनी है देखते हुए ठीक प्रोफेशनली मैनेज किया जाए तो आधे रेट में या 30-40 प्रतिशत कम रेट में वातानुकूलित बसों में देश के गरीब आदमी घूम सकते हैं। प्रदूषण में कमी आएगी, आयात बचेगा, अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और इस सबके कारण रोजगार भी बढ़ेगा।