मेक्सिको भूकंप में मरने वालों की संख्या हुई 250
मेक्सिको सिटी, 20 सितम्बर : मेक्सिको सिटी में मंगलवार देर रात आए 7.1 की तीव्रता के भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 250 हो गई है। भूकंप से सैकड़ों मकान जमींदोज हो गए, सड़कें फट गईं हजारों लोग मलबे के नीचे अब भी दबे हुए हैं। राहत और बचाव का काम युद्धस्तर पर जारी है। अधिकारियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या अभी भी बढ़ सकती है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि यह आपदा ठीक उसी दिन आई है जिस दिन 1985 में आए भूकंप में 5000 से ज्यादा लोग काल- कवलित हुए थे|
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने भूकंप का केंद्र राजधानी से 76 मील दक्षिण-पूर्व प्यूब्ला प्रांत के राबोसो शहर के पास बताया है। यह जानकारी बुधवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
बीबीसी के अनुसार, मरने वालों में मोरेलोस राज्य के 71, मेक्सिको सिटी के 86, प्यूबला राज्य में 43, मेक्सिको राज्य में 12, ग्लूरिरो में तीन ओअक्साका में 1 और 26 मेक्सिको सिटी स्कूल के बच्चे शामिल हैं।
मेक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पीना निएटो ने टीवी पर दिए एक संदेश में कहा कि सेना बुला ली गई है| राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है और यह रात में भी जारी रखा जाएगा। साथ ही लोगों से अपील की है कि वे सड़कों पर न रुकें जिससे आपातकालीन सेवाएं आसानी से प्रभावित इलाकों में पहुंच सकें। बड़े पैमाने पर वॉलेंटियर्स आपातकालीन सेवाओं के लिए तैनात हैं। राजधानी मेक्सिको सिटी में फोन सेवाएं बाधित हो गई हैं और 40 लाख लोग बिना बिजली के हैं।
गौरतलब है कि इसी महीने रिक्टर पैमाने पर 8.1 की तीव्रता का भूकंप दक्षिणी मेक्सिको के हिस्से में आया था जिसमें कम से कम 90 लोगों की मौत हो गई थी।
32 साल (1985) पहले 19 सितंबर को ही मेक्सिको के इतिहास का सबसे बड़ा भूकंप आया था जिसमें शहर का मुख्य भाग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। वह भूकंप स्थानीय समयानुसार सुबह के सात बजकर 19 मिनट पर आया था जिसकी तीव्रता 8.1 थी। 1985 में आया विनाशकारी भूकंप प्रशांत महासागर के मिकोअकान के पास आया था। इसमें मरने वालों की संख्या मेक्सिको सरकार के मुताबिक 3692 थी, जबकि मेक्सिको की रेड क्रॉस संस्था का कहना था कि 10,000 से ज्यादा लोगों की जानें गई थीं।
इस भारी तबाही से ध्वस्त हो गई इमारतों को फिर से बनाया गया और कुछ जगहों पर पार्क या कला संस्कति केंद्र बनाए गए। साथ ही इस भूकंप से सबक लेते हुए मेक्सिको सरकार ने इमारतें बनाने के लिए नए नियम कानून भी बनाए गए।
भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए हजारों लोग आगे चलकर सामाजिक आंदोलन के सूत्रधार बने और इससे देश की राजनीतिक तस्वीर भी बदली। (हि.स.)।