काठमांडु (ईएमएस)। नेपाल में ज़बर्दस्त भूकंप से मची तबाही के बाद वहां भेजा गया अरबों डॉलर गैर जरुरी मकानों को बनाने पर खर्च किया जा रहा है। अप्रैल 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था और करीब 9000 लोगों की जान चली गई थी। उस विध्वंस के दौरान बच गए लोगों को अब नये मकान बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है जिनकी उन्हें ज़रुरत नहीं है। इससे 9 अरब डॉलर से जितना ज़्यादा पुनर्निर्माण का काम किया जा सकता था उतना नहीं हो पाया। दरअसल जब अंतरराष्ट्रीय डोनर्स ने फिर से बेहतर निर्माण करो टैगलाईन के तहत 4.1 अरब डॉलर देने का वादा किया था तो उनकी शर्त थी कि भूकंपरोधी मकानों का निर्माण किया जाए।
सरकार ने 708,000 परिवारों की पहचान की थी जिनके मकानों को भूकंप की वजह से नुकसान पहुंता था। इसकी वजह से सरकार ने 3000 डॉलर का सब्सिडी प्रोग्राम शुरू किया था ताकि ऐसे मकानों का निर्माण किया जा सके जो भूकंप आने पर न गिरें। तीन साल बाद 2.1 अरब डॉलर की इस योजना के तहत केवल 15 फीसदी मकान ही फिर से बन पाए। दरअसल पुनर्निर्माण आपसी राजनीतिक लड़ाई, नौकरशाही, सब्सिडी हासिल करने के तौर तरीके पर संशय के चलते सुस्ती का शिकार हो गया। कई लोगों ने बीम लगाकर ईंट और मिट्टी के अपने मकानों को भूकंप रोधी बनाने के बजाय ऊंची लागत पर छोटे मकान बनाने के लिए पुराने टूटे मकानों को और तोड़ दिया।