बिहार के सीएम की कुर्सी खतरे में : बीजेपी खुश, अब आयेगा बीजेपी का सीएम
पटना, सनाउल हक़ चंचल-
सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग को एक दायर याचिका पर विचार मांगा, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार को अयोग्य ठहराने मौजूद तथ्यों पर 4 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है,
नितीश पर आरोप है की उन्होंने चुनाव के समय शपथ पत्रों में उनके खिलाफ लंबित प्रकरणों का उल्लेख नही किया है. उनके विरुद्ध चल रहे मामले निर्वाचन फॉर्म व् शपथ पत्र में दर्ज नही है.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और डी. वाई. चंरचूड की पीठ ने नोटिस जारी किया है चार सप्ताह के भीतर चुनाव आयोग से इस विषय में जवाब देने को कहा है. याचिकाकर्ता द्वारा मांग की गयी है की वर्ष 2004 और 2012 में नितीश के द्वारा, इन मामलो को छुपाया गया था, इस आधार पर नितीश की सदस्यता को रद्द किया जाये.
याचिका कर्ता ने कहा है की कोई भी नागरिक, जिसके खिलाफ हत्या जैसे संगीन अपराध निराकरण को किसी भी न्यायलय में लंबित हो, उन्हें संवैधानिक पदों पर नियुक्त किया जाना उचित नहीं है,
वर्ष 1991 से नितीश ने अपने संवैधानिक पद के प्रभाव से सभी प्रकार की कार्यवाही को प्रभावित किया है, उन्हें न्यायलय से जमानत भी प्राप्त नहीं है, नितीश के द्वारा अपने संवैधानिक प्रभावों का उपयोग इस प्रकरण के खात्मे के लिए भी किया गया था, इस गैर जमानती अपराध में नितीश बिना न्यायलय में उपस्तिथ हुए कैसे चुनाव लड़ रहे है.
याचिकाकर्ता ने पुनः नये सिरे से इस सम्पूर्ण प्रकरण पर जांच करने की प्रार्थना न्यायलय से की है इस विषय में बढ़ सकती है केंद्र की मुसीबतें, कुछ दिनों पूर्व हवा में उछली एक खबर की पीछे यही याचिका थी, कि भारतीय जनता पार्टी बिहार में नितीश को हटा कर अपना मुख्यमंत्री बनाने में प्रयासरत है, BJP को पूर्ण आभास रहा है,
परन्तु, जिस गति से तेजस्वी यादव और लालू यादव परिवार पर प्रकरणों की जांच जारी है क्या यह गति नितीश के मामले में भी सक्रीय रहेगी.