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बिहार का वित्तीय वर्ष 2018-19 का 1.77 लाख करोड़ का बजट पेश, कोई नया कर नहीं

पटना, 27 फरवरी (हि.स.): बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट पेश हुआ। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने विपक्ष के भारी शोरशराबे के बीच नये वित्तीय वर्ष में बिना कोई नये कर प्रस्ताव के करीब 1.77 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया। बजट में 21312 करोड़ रुपये का राजस्व बचत दिखाया गया है। बजट प्रस्ताव में 92317.65 करोड़ रुपये स्कीम मद में और 84672.62 करोड़ रुपये स्थापना एवं प्रतिबद्ध खर्च दिखाया गया है। वर्ष 2018-19 में वेतन मद में 46637.40 करोड़ रुपये, पेंशन मद में 15828.81 करोड़ रुपये और ब्याज भुगतान के रूप में 10763.49 करोड़ रुपये और लोक ऋण अदायगी में 7326.41 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान किया गया है।

नये वित्तीय वर्ष के राज्य बजट में 158051.41 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का अनुमान है। इसमें केन्द्रीय करों से हिस्सा के रूप में 76172.37 करोड़ रुपये एवं केन्द्रीय सहायता अनुदान के रूप में 46431.12 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। राज्य के अपने कर राजस्व से 31002.03 करोड़ रुपये और गैर कर राजस्व से 4445.89 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। पूंजीगत प्राप्ति के रूप में 22795.43 करोड़ रुपये उधार लेने का प्रस्ताव है। इस प्रकार 176999.27 करोड़ रुपये के खर्च में राजस्व खर्च के रूप में 136739.67 करोड़ रुपये और पूंजीगत खर्च के रूप में 40250.60 करोड़ रुपये खर्च अनुमानित है। 21311.74 करोड़ रुपये राजस्व बचत के बजट प्रस्ताव में राजकोषीय घाटा 11203.95 करोड़ रुपये अनुमानित है।

उप मुख्यमंत्री ने शोर शराबे के बीच 46 मिनट बजट भाषण पढ़ा। जब तक भाषण चला ,राजद,कांग्रेस और माले के सदस्य सदन के बीच आकर भारी शोरशराबा करते रहे। सृजन चोर गद्दी छ़ोड़,नीतीश-मोदी हाय-हाय,खजाना चोर गद्दी छोड़ के नारे बुलंद करते रहे। शुरू में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव भी सदन के बीच आकर नारे लगाने लगे। उन्होंने अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के आसन के समीप पहुंचकर कहा कि सुशील मोदी को बजट पेश करने का अधिकार नहीं है। विपक्षी सदस्यों ने कई बार रिपोर्टर्स टेबुल को थपाथापा कर और दो तीन बार उलटने की भी कोशिश की। हंगामा के दौरान तेजस्वी, तेजप्रताप और अब्दुल बारी सिद्दिकी अपनी सीट पर बैठे रहे।

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