नई दिल्ली, 08 अप्रैल = तीस्ता समझौता बांग्लादेश की दृिष्ट से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत से होकर चार बड़ी नदियां गुजरती हैं – गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और तीस्ता। यह सिक्किम की पहाड़ियों से निकल कर भारत में लगभग 300 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद बांग्लादेश पहुंचती हैं। वहां इसकी लंबाई 121 किलोमीटर है। तीस्ता इसलिए अहम है कि बांग्लादेश का करीब 14 फीसदी इलाका सिंचाई के लिए इसी नदी के पानी पर निर्भर है। इससे बांग्लादेश की 7.3 फीसदी आबादी को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर रहीं विरोध
दरअसल, उत्तर बंगाल के किसानों की आजीविका तीस्ता नदी के पानी पर निर्भर है। ममता बनर्जी कहती रही हैं कि इसके पानी में कमी से बंगाल के छह जिलों में खेती सीधे तौर पर प्रभावित होगी। किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। 2011 में भी ममता बनर्जी की वजह से तीस्ता पर समझौता होते-होते रह गया था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ढाका गये थे।
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इससे पहले वर्ष 1983 में तीस्ता के पानी पर बंटवारे पर एक तदर्थ समझौता हुआ था। इसके तहत बांग्लादेश को 36 फीसदी और भारत को 39 फीसदी पानी के इस्तेमाल का हक मिला था। बाकी 25 फीसदी का आवंटन नहीं किया गया।