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बढ़ती गर्मी में लोगों को खूब भा रहा ‘सुराही’ और ‘घड़ा’

वाराणसी, 20 मई = धर्म नगरी वाराणसी में जैसे-जैसे गर्मी की और धूप की तल्खी बढ़ रही है। लोगों में खासकर मध्यम और गरीब तबके का रुझान भी देशी फ्रिज यानि सुराही की ओर बढ़ा है। साथ ही विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ लॉयन्स क्लब, रोटरी क्लब सहित शहर के कुछ धनाढ्य लोग भी राहगिरों के लिए जगह-जगह प्याऊ खोल बड़े घड़े में ठंडे पानी का इन्तजाम कर रहे हैं।

शनिवार को डीएवी पीजी कॉलेज के मुख्य द्वार के निकट सुराही बेचने वाले पप्पू साव बताते हैं कि इन दिनों भीषण गर्मी और तपन के चलते लोग फ्रिज का पानी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह ठंडा जरूर होता है। प्यास लगने पर इसमें सामान्य पानी मिलाकर पीते हैं। यह पानी नुकसानदेह होता है जबकि घड़ें और सुराही में मिट्टी की सोंधी खुशबु, शीतलता और मीठापन का अहसास होता है। बालू के ऊपर पानी छिड़क कर घड़ें को उस पर रखकर और उसके किनारे बोरा को भिगोंकर रखने से पानी इतना ठंडा हो जाता है कि उसके आगे फ्रिज फेल। उन्होंने बताया कि छोटी सुराही 60-70. रुपये से शुरू होती है। थोड़ी बड़ी वाली भी 90 रुपये से शुरू होती है। स्टाइलिश और आकर्षक सुराही की कीमत 125 रुपये से शुरू है। पिछले वर्ष की तुलना में दाम में अन्तर पर बताया कि महगांई और घड़ा बनाने में बढ़ी मजदूरी हैं।

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लंका तिराहे पर घड़ा सुराही, चना का सत्तु बेचने वाले राजेश बताते हैं कि गर्मी के दिनो में लगभग 15 से 20 सुराही बहुत अच्छी बिक्री होने पर बिक जाता है। अब बहुमंजिली कॉलोनियों के लोग देसी फ्रिज यानि मिट्टी का घड़े को नही पूछते। मिट्टी के घड़े को ये लोग भूल गये हैं।

लल्लापुरा पितरकुण्डा में घड़ा बनाने का कार्य करने वाले रामसूरत प्रजापति बताते है कि घड़ा बनाने में कई समस्या आ रही है। इसे बनाने के लिए मिट्टी भी आसानी से मिल पाती है। कुम्हारों की स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि अब हमारे बच्चे इस पारंपरिक काम में नही आना चाहते।

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