फिल्म समीक्षा- ओके जानू
रेटिंग 2 स्टार
मुख्य कलाकार- आदित्य रॉय कपूर, श्रद्धा कपूर, नसीरुद्दीन शाह, लीला सैमसन
बैनर- धर्मा प्रोडक्शंस, मद्रास टॉकीज, फॉक्स स्टार स्टूडियोज
निर्माता- करण जौहर, मणिरत्नम
निर्देशक- शाद अली
कहानी-पटकथा लेखक- मणिरत्नम
संवाद लेखक- गुलजार
कैमरामैन- रवि के चंद्रन
एडीटर- ए श्रीकर प्रसाद
एक्शन डायरेक्टर- अनीस एंडेवाला
डांस डायरेक्टर- वैभवी मर्चेंट, तुषार कालिया
गीतकार- गुलजार
संगीतकार- ए आर रहमान
गायक- बादशाह, अरिजीत सिंह, ए आर अमीन, अशिमा महाजन, तानिश्क बागची, अरुण कैंडी, नीति मोहन, जोनिता गांधी, नक्श अजीज, हार्ड कौर, ए आर रहमान
मणिरत्नम की तमिल फिल्म ओ कधाल कनमानी के हिन्दी रीमेक के तौर पर बनी शाद अली की फिल्म ओके जानू को आधुनिक दौर की प्रेम कहानी कहना ज्यादा ठीक होगा, जहां रियल्टी चेक अक्सर प्यार की संवेदनाओं पर भारी पड़ जाते हैं और प्यार की ट्रेन पटरी से उतर जाती है। एक दूसरे के साथ प्यार के रिश्ते में बंधा एक जोड़ा जब करिअर को ज्यादा महत्व देता है, तो कैसे उनके रिश्तों में बाधा आती है, यही इस फिल्म का सार है।
फिल्म का कथासार
लखनऊ का रहने वाला कंप्यूटर ब्वॉय आदित्य (आदित्य रॉय कपूर) का सपना अमेरिका जाकर सैटल होना है। मुंबई में एक दोस्त की शादी में उसकी मुलाकात तारा (श्रद्धा कपूर) से होती है, जो आर्किटेक्ट है और उसे स्टडी के लिए पेरिस जाना है। दोनों महसूस करते हैं कि अपने-अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्यार या रोमांस और यहां तक कि शादी के लिए भी उनकी जिंदगी में कोई जगह नहीं है। दोनों के बीच हालात कुछ इस तरह से टर्न लेते हैं कि दोनों को लिव इन रिलेशनशिप में रहना पड़ता है। यहां उनके मकान मालिक गोपी श्रीवास्तव (नसीरुद्दीन शाह) उनकी जिंदगी में बड़ा रोल प्ले करते हैं। लिव इन रिलेशनशिप में जल्द ही दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं, लेकिन जब आदित्य के अमेरिका जाने का वक्त आता है, तो उनकी रिलेशनशिप ही दांव पर लग जाती है। विचित्र क्लाइमैक्स के साथ फिल्म का दी एंड उसी अंदाज में होता है, जैसा हो सकता था।
ये फिल्म खास तौर पर प्यार करने वाली उन जोड़ियों के लिए बनाई गई है, जो शादी के सपने भी देखते हैं और अपने बेहतर भविष्य के लिए करिअर की प्लानिंग भी करते हैं। जब कभी इन दोनों में टकराव की नौबत आ जाती है, तो रिश्ते टूटने के कगार पर पंहुच जाते हैं। रियल्टी और इमोशंस के टकराव को लेकर बनी इस फिल्म की कहानी में युवाओं के लिए रोमांस का हर तड़का मिलेगा, जिसे देखकर तमाम युवा इसके साथ खुद को जोड़ेंगे, इसी सोच के साथ ये फिल्म बनी है। कहानी की थीम कमजोर नहीं थी, लेकिन मणिरत्नम के स्क्रीनप्ले को हिंदी दर्शकों के हिसाब से थोड़े बदलाव की जरूरत थी। इसे थोड़ा पेसी रखना चाहिए था। रोमांस ठीक है, लेकिन इस चक्कर में फिल्म की रफ्तार का बट्टा बैठता चला जाता है। सेकेंड हाफ में जब फिल्म के इमोशंस को लेकर ड्रामा आता है, तो फिल्म कहानी के स्तर पर कमजोर होती चली जाती है। फिल्म के संवाद महानगरों के आधुनिकता में ढली जोड़ियों के लिए फिट हैं।
कलाकारों का अभिनय
आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर, दोनों के कंधों पर फिल्म टिकी थी, लेकिन परफॉरमेंस के मामले में दोनों के कंधे कमजोर साबित हुए। रोमांस और हॉट सीनों के लिए किसी एक्टिंग की जरूरत नहीं पड़ती और ऐसे सीनों के लिए दोनों को काफी अनुभव है। लेकिन जहां परफॉरमेंस की बात आती है, तो दोनों ही कमजोर पड़ते हैं। आदित्य के चेहरे पर सपाट भाव उनकी कमजोरी बनते जा रहे हैं और श्रद्धा ग्लैमर डॉल की अपनी इमेज से बाहर आने के लिए तैयार नहीं हैं। नसीरुद्दीन शाह के लिए क्या कहा जाए, कमजोर रोल में उनकी परफॉरमेंस लाजवाब रही है। लीला सैमसन की कास्टिंग चौंकाती है और परदे पर वे कोई कमाल नहीं कर पाती।
निर्देशन
ये फिल्म मणिरत्नम की तमिल फिल्म का रीमेक है। शाद अली मणिरत्नम के लंबे समय से सहायक रहे हैं। इस फिल्म में भी रहे। उन्होंने ही इसे तमिल से हिन्दी में बनाने का फैसला किया। निर्देशक के तौर पर शाद अली इस बात को भूल गए कि ओके जानू हिंदी में बन रही है और ये दायरा बहुत बड़ा है। इस दायरे में शाद अली का निर्देशन कोई कमाल नहीं कर पाया। साथिया जैसी फिल्म बना चुके शाद अली काफी वक्त बाद लौटे हैं और उनसे बेहतर फिल्म की उम्मीद थी। निर्देशक के तौर पर उन्होंने निराश किया है।
गीत-संगीत
गुलजार के गीतों और एआर रहमान के संगीत की जोड़ी ने पूर्व में कई फिल्मों में धूम मचाई है। इस बार 12 से ज्यादा गायकों का इस्तेमाल करके ये जोड़ी कोई कमाल नहीं कर पाई। मणिरत्नम की फिल्म बॉम्बे में रहमान का ही हम्मा हम्मा… को रीक्रिएट करना एक अच्छा मूव रहा, जो परदे पर भी अच्छा रहा, लेकिन ओरिजनल की तुलना में कहीं नहीं रहा। फिर भी फिल्म के गानों की हाईलाइट यही है।
तकनीकी पहलू
कोरियोग्राफी अच्छी है, लेकिन एडिटिंग कमजोर है। फिल्म का कई मौकों पर धीमा पड़ जाना एडिटिंग की सबसे बड़ी कमजोरी मानी जाती है। सिनेमाटोग्राफी लाजवाब है। बाकी तकनीकी पहलू सामान्य ही रहे।
फिल्म की सबसे बड़ी खूबी- आज के दौर का विषय, युवाओं से जुड़ने वाला युवा, जमकर रोमांस और हॉट सीन, बेहतर संवाद
फिल्म की कमजोरी- आदित्य और श्रद्धा की कमजोर परफॉरमेंस, बेहद ढीला स्क्रीनप्ले और धीमी गति।
बॉक्स-ऑफिस
फिल्म का बजट 40 करोड़ के आसपास है। ओपनिंग बहुत अच्छी नहीं हुई है। सारा दारोमदार शनिवार और रविवार पर है। 10 करोड़ के आसपास का पहला वीकेंड लग गया, तो आगे थोड़ा बेहतर कर सकती है, लेकिन बॉक्स-ऑफिस से लागत वसूल करना मुश्किल है।
एक नजर में
ओके जानू का रोमांटिक एंगल और करिअर का कनेक्शन बड़े शहरों के युवाओं को अपने साथ कनेक्ट करेगा, लेकिन मणिरत्नम, करण जौहर जैसे नाम जब जुड़े हों, तो उम्मीदें बढ़ती हैं, जो पूरी नहीं होती। आशिकी 2 के खुमार में जाने वाले दर्शक ज्यादा मायूस होंगे।