पिछले दो साल में 237 बाघों की मौत
नई दिल्ली, 11 अगस्त (हि.स.)। केंद्र सरकार ने बताया है कि पिछले दो साल में देश में 237 बाघ मर गए हैं। लोकसभा में यह जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने यह भी बताया है कि वर्ष 2016 में 122 बाघ तो वर्ष 2017 में 115 बाघ मरे हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 से 2017 तक 23 प्रतिशत बाघ अवैध शिकारियों की वजह से और 55 प्रतिशत प्राकृतिक कारणों से मर गए। मंत्री ने बताया कि 7 फीसदी अप्राकृतिक मौत का कारण अवैध शिकार नहीं, बल्कि ट्रैफिक दुर्घटना या मानव-वन्य जीव संघर्ष की स्थिति है। बाकी 16 फीसदी मामलों में अथॉरिटी को सिर्फ बाघ की डेड बॉडी मिली। इसमें यह नहीं कहा जा सकता कि यह मौतें शिकार के कारण हुई हैं या नहीं? इसलिए इसे अलग श्रेणी में रखा गया है।
उन्होंने बताया कि टाइगर परियोजना और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से सरकार ने विरोधी शिकार अभियान के लिए कई पहल की हैं। इनमें विशेष टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स (एसटीपीएफ) का निर्माण, सुरक्षा योजना दिशानिर्देशों का निर्माण शामिल है जो अत्यधिक बाघ संरक्षण योजना (टीसीपी), सुरक्षा लेखा परीक्षा ढांचे के विकास और ऑनलाइन वन्यजीव अपराध डेटाबेस बनाना शामिल है।