पालघर CEO की तानाशाही, मुख्यमंत्री का दौरा ख़त्म होते ही 15 आंगनवाड़ी सेविका निलंबित !
केशव भूमि नेटवर्क , पालघर : पालघर जिला परिषद की सीईओ निधि चौधरी का तानाशाही का मामला सामने आया है .पालघर जिला में मुख्यमंत्री का दौरा ख़त्म होते ही पालघर जि.प. की CEO निधि चौधरी ने अप्रैल महीने में अपनी मांगो को लेकर श्रमजीवी संघटना के मोर्चे में सामिल हुए 15 आंगनवाड़ी सेविका पर अपना गुस्सा निकालते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है .
आंगनवाड़ी शिक्षिकाओ के रुके मानधन को तुरंत देने, सरकार द्वारा बच्चो को दी जाने वाली THR पोषक आहार की घटिया क्वालटी को देखते हुए उसे तुरंत बंद करने की मांग , व अन्य कई मांगो को लेकर श्रमजीवी संघटना के लोगो ने 24 अप्रैल को पालघर जिला परिषद कार्यालय पर एक मोर्चा निकाला था .जिसमे कुछ आंगनवाड़ी सेविका भी सामिल थी .मोर्चे में आये लोगो का एक शिष्ट मंडल CEO निधी चौधरी से मिलकर यह मांग कर रहा था कि आंगनवाड़ी शिक्षिकाओ के रुके मानधन को तुरंत दिया जाय .7 महीने से लेकर तीन साल तक के बच्चो को दिए जाने वाला THR पोषक आहार ख़राब दर्जे का हैं , इसे तुरंत बंद किया जाय . व अन्य ऐसी कई मांगे थे जिन्हें वह तुरंत पूरा करने की मांग पर अड़े थे . लेकिन पालघर CEO ने उनकी इन मांगो को तुरंत पूरा करने से माना कर दिया था . वही श्रमजीवी संघटना के लोग अपनी मांग पर अड़े रहे और CEO को उनके ही चेम्बर में घेर के रखा .
कार्यकर्ताओ पर पालघर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज
जिससे नाराज होकर निधि चौधरी ने विवेक पंडित और उनके कार्यकर्ताओ पर पालघर पुलिस स्टेशन में 24 घंटे बाद शिकायत दर्ज की थी. शिकायत दर्ज होने के बाद विवेक पंडित और उनके कार्यकर्त्ता पुरे गाजे बाजे के साथ पालघर पुलिस स्टेशन में हाजिर हुए थे ,पुलिस ने विवेक पंडित समेत 34 कार्यकर्ताओ को गिरफ्तार करके पालघर कोर्ट में पेश किया था लेकिन कोर्ट में जमानत लेने से इंकार करने के बाद पालघर कोर्ट ने विवेक पंडित समेत सभी लोगो को जेल भेज दिया था .जिसके बाद शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री के दखल के बाद विवेक पंडित जेल से बाहर आए.
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कहते है जब धोबी से नहीं जीते तो उसके गधे का कान पकड़ कर उमेठने लगे. उसी तर्ज पर जब निधि चौधरी विवेक पंडित से नहीं जीती तो अपना गुस्सा इन आंगनवाड़ी सेविकाओ पर निकाल दिया . जैसे ही 18 मई को मुख्यमंत्री का दौरा समाप्त हुआ निधि चौधरी अपनी ताना शाही दिखाते हुए 15 आंगनवाड़ी सेविका को निलंबित कर दिया. इस निलंबन के बाद श्रमजीवी संघटना के लोगो का कहना है की इस लोकतंत्र में अपनी मांग को मांगना गुनाह है , इससे यही साबित होता है .