नई दिल्ली, 10 जनवरी= नोटबंदी के दौरान देशभर की बैकों के खातों में जमा रुपयों को लेकर आयकर विभाग की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का मानना है कि सारे देश की बैंकों से प्राप्त आंकड़ों की जांच से कालेधन को लेकर बहुत-सी बातें सामने आएंगी। एक अनुमान के तौर पर नोटबंदी के दौरान करीब 60 लाख बैंक खातों में 2 लाख रुपये या उससे ज्यादा जमा किए गए हैं। इतना ही नहीं 3-4 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि ऐसी है, जिस पर टैक्स नहीं दिया गया है, मतलब ये कालाधन है। आंकड़ों से ये भी खुलासा हुआ कि नोटबंदी के दौरान करीब 80 हजार करोड़ रुपये का लोन चुकाया गया और इसके लिए 500 और 1000 रुपये के नोट का उपयोग किया गया।
8 नवम्बर, 2016 को जब सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट की कानूनी वैधता समाप्त करने का फैसला किया, तो उसके बाद से बैंक खातों में 500 और 1000 रुपये के नोट जमा करने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लग गई। सरकार ने इन दोनों राशि के चलन से बाहर हुए नोट को जमा कराने के लिए 9 नवम्बर से 30 दिसम्बर तक का वक्त दिया था। अब जब नोटबंदी की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, बैंकों के साथ आयकर विभाग भी बैंकों से मिले आंकड़ों का अध्ययन कर रहा है।
अपुष्ट आंकडो़ं के मुताबिक नोटबंदी के दिनों में बैंकों में लगभग 14.9 लाख करोड़ रुपये जमा हुए हैं। साथ ही आरबीआई द्वारा जारी 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट में से 94 फीसदी वापस बैंकों तक पहुंच गए हैं। इस बीच आयकर विभाग ने सभी बैंकों से नोटबंदी के दौरान सभी खातों में हुए जमा-निकासी का ब्यौरा मांगा है। आयकर विभाग का अनुमान है कि इन 50 दिनों में करीब 3-4 लाख करोड़ रुपये ऐसे जमा किए गए, जिन पर आयकर नहीं दिया गया है। साथ ही सभी बैंकों को 28 फरवरी के पहले सभी खातों से पैन जोड़ने को कहा है।