नोटबंदी के कारण बैगन की खेती करने वाले किसानों को हुआ नुकसान.
Bengal.मालदा, 04 फरवरी = मालदा का नवाबगंज इलाका बैगन उत्पादन के लिए राज्य में प्रसिद्ध है। यहां से उत्पादित होनेवाले बैगन की मांग पूरे राज्य भर में है। इस प्रजाति का बैगन मालदा जिला के कुछ ग्राम पंचायतों में ही उत्पादित होता है। लेकिन बैगन की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि नोटबंदी के कारण उनके खेती को नुकसान हुआ है। थोक विक्रेता नकदी के अभाव में यहां काफी कम आ रहे हैं।
फरवरी महीने से खेतों से बैगन निकलने लगते हैं। राज्य भर के थोक विक्रेता यहां के किसानों से संपर्क करते हैं। लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग ही है। जिला उद्यान पालन विभाग के उप निदेशक राहुल चक्रवर्ती ने कहा कि नवाबगंज का बैगन मशहूर है। यहां के बैगन नवाब लोग खाते थे। उनके लिए ही यहां बैगन की खेती होती थी। धीरे-धीरे इस इलाके का नाम ही नवाबगंज हो गया और बैगन का नामकरण भी नवाबगंज प्रजाति का हो गया। मालदा के महिषबाथानी ग्राम पंचायत के डांगापाडा, नवाबगंज, सांजाइल, गाजोल ब्लॉक के पांडुआ व बैरगाछी एक नंबर ग्राम पंचायत के कुतुबपुर, दिघोलकेयारी व चंद्राइल व रतुआ एक नंबर ब्लॉक के महाराजपुर ग्राम पंचायत के राजापुर गांव में मूल रूप से बैगन की खेती होती है। 750 ग्राम से लेकर 02 किलोग्राम तक बैगन का वजन होता है। पौधे में 07 से 10 बैगन एक बार लगते हैं।
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जिला से 04 हजार 800 मिट्रिक टन बैगन का उत्पादन इस साल हुआ है। लेकिन बाजार में किसानों को इसकी उपयुक्त कीमत नहीं मिली है। हालांकि इससे आगे बढ़ने हुए नवाबगंज इलाके के बैगन की प्रजाति की खेती का दायरा बढाया जा रहा है।
गाजोल के चंद्राइल गांव में बैगन की खेती करने वाले आकतारूल शेख, नईमुददीन शेख, इजाहार अली का कहना है कि अगस्त महीने में बैगन के पौधे लगाए जाते हैं। जैव पद्धिति से इसकी खेती की जाती है। यही कारण है कि नवाबगंज का बैगन स्वाद से भरपूर होता है। इसकी बडे पैमाने पर मांग है। इसकी मांग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि थोक विक्रेता पहले ही बयाना दे देते हैं। लेकिन बयाना देने के बाद भी थोक व्यवसायी नजर नहीं आ रहे हैं।