धार्मिक भ्रांति कैसे दूर करें: स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज
मुंबई =स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज कहते है कि धार्मिक भ्रांतियां पैदा होने के अन्य कारण भी रहे। जैसे, श्रीमद्भगवद्गीता के रहते कोई अन्य सम्प्रदाय पनप ही नहीं सकता था क्योंकि वह सबसे समृद्ध ज्ञान है। पर षडंत्रपूर्वक श्रीमद्भगवद्गीता को लोगों के बीच से हटाया गया। प्रचारित किया गया कि महाभारत न पढ़ना, घर में न रखना अन्यथा झगड़ा हो जाएगा, महाभारत हो जाएगा। श्रद्धावश जब लोगों ने महाभारत के मर्म अर्थात् श्रीमद्भगवद्गीता को अलग निकाल लिया तो कहा जाने लगा कि इसे घर में मत रखना वरना बच्चे साधु हो जाएंगे, बैरागी हो जाएंगे, जबकि गीता में हमारे धर्म का सार तत्व है। वह श्रीमद् परमात्मा के मुख से निकली वाणी है। अनेकानेक ग्रन्थ होने के बावजूद भारत में सर्वाधिक प्रकाशित होने वाला ग्रंथ गीता ही है। इस गीता के माध्यम से जब हम अपने धर्म को धारण करेंगे तो वर्तमान समय में दिख रहे संकट के बादल छंट जाएंगे और यह देश पुन: विश्व गुरु के सिंहासन पर आसीन हो जाएगा।
यह भी पढ़े =अपनों को छोड़े नहीं अपनाएं : स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज