देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ली शपथ
नई दिल्ली, 25 जुलाई : भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने कोविंद को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। कोविंद ने हिन्दी में शपथ ली। संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित इस भव्य समारोह में कोविंद के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उनके बधाई दी और उनको अपनी कुर्सी पर बैठाया।
मंगवार को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद को 21 तोपों की सलामी दी गई। इस समारोह में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य, राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल, समेत सभी गणमान्य नेता व सांसद उपस्थित रहे।
शपथ ग्रहण के बाद केंद्रीय कक्ष में में नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपना पहला संबोधन दिया। उन्होंने समारोह में मौजूद सभी राजनीतिक हस्तियों को हिन्दी में संबोधित किया। उन्होंने देश के शीर्ष संवैधानिक पद पर आसीन कराने के ले सभी राजनीतिक दलों, व देश की जनता का आभार जताया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कक्ष में आने के बाद उनकी सभी यादें ताजा हो गईं। कोविंद ने अपनी शुरुआती जिंदगी और चुनौतियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वह मिट्टी के घर में पले हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में आम लोगों के सहयोग की भी जरूरत है। कोविंद ने कहा कि खेतों में काम करने वाली महिलाएं, किसान, वैज्ञानिक, स्टार्टअप कारोबारी से लेकर सुरक्षाबलों तक राष्ट्र निर्माता हैं।
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इससे पूर्व, प्रणव मुखर्जी, कोविंद को काले रंग की लिमोजिन कार में लेकर संसद भवन पहुंचे। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने उनकी अगवानी की और केंद्रीय कक्ष तक उनके साथ चले। इसके साथ ही मुखर्जी रामनाथ कोविंद को कार्यभार सौंपने के बाद 340 कमरों वाले राष्ट्रपति भवन से हटकर 10 राजाजी मार्ग स्थित एक बंगले में रहने के लिए चले गए।
इससे पहले, कोविंद ने मुखर्जी से राष्ट्रपति भवन के अध्ययन कक्ष में जाकर मुलाकात की। मुखर्जी ने कोविंद को गुलदस्ता देकर अगवानी की। राष्ट्रपति भवन पहुंचने से पहले कोविंद राजघाट गए। वहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। काले रंग का बंद गले का सूट पहने कोविंद के साथ उनकी पत्नी सविता कोबिंद भी मौजूद रहीं। राजघाट पर कोविंद को गांधीजी का एक स्मृति चिह्न भी भेंट किया गया।