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दिल्ली में 9 जनवरी को हुंकार रैली करेंगे जिग्नेश मेवाणी

नई दिल्ली, 05 जनवरी (हि.स.)। गुजरात के वडगांव से हाल ही में विधायक बने जिग्नेश मेवाणी ने पुणे-कोरेगांव जातीय हिंसा मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को बेबुनियाद बताते हुए इसके पीछे आरएसएस-भाजपा का हाथ बताया है। खुद को दलित नेता बताते हुए उन्होंने कहा कि दलितों को निशाना बनाने के खिलाफ वह 9 जनवरी को दिल्ली में हुंकार रैली करेंगे। 

नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पत्रकारों संबोधित करते हुए मेवाणी ने कहा कि उनकी ओर से 9 जनवरी को दिल्ली में एक युवा हुंकार रैली आयोजित की जाएगी जिसमें असम के किसान नेता व आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई और देश के अन्य युवा नेता उनके साथ होंगे। उन्होंने कहा कि वह बाबा साहेब अम्बेडकर के संविधान में विश्वास रखते हैं और उनकी विचारधारा पर विश्वास रखते हैं। उसी को सामने रखते हुए वह अपने संघर्ष को आगे लेकर जाएंगे। 

उन्होंने कहा कि 9 तारीख की दिल्ली में आयोजित हुंकार रैली में वह शाम को प्रधानमंत्री आवास पर प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान उनके एक हाथ में मनुस्मृति और दूसरे हाथ में देश का संविधान होगा। वह प्रधानमंत्री से पूछेंगे की उन्हें क्या पसंद है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही एक ‘दलित नेता’ को निशाना बनाया गया तो 2019 में मोदी सरकार की वापसी मुश्किल होगी। 

जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा में उनका कोई हाथ नहीं है। उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया और न ही बंद का आहवान किया। केवल उनकी छवि खराब करने और उन्हें निशाना बनाने के लिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। 

मेवाणी का कहा, ‘‘मैं कोरेगांव नहीं गया। न ही मैंने कोई भड़काऊ भाषण दिया और न ही मैंने बंद में भाग लिया।’’ खुद को दलित नेता बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें संघ व भाजपा के लोग निशाना बना रहे हैं । एक ‘दलित विधायक’ के साथ ऐसा व्यवहार ठीक नहीं है। दलितों के साथ इसी व्यवहार के चलते गुजरात में भाजपा के 150 सीटें पाने से जुड़ा ‘घमंड’ टूट गया। 

मेवाणी ने कहा, ‘‘गुजरात, महाराष्ट्र और पूरे देश के दलित व प्रगतिशील आंदोलन और युवा वर्ग की ओर से वह कहना चाहते हैं कि अगर गुजरात और महाराष्ट्र में दलितों को निशाना बनाया गया और उनकी व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई तो जनता 2019 में नरेन्द्र मोदी सरकार को सबक सिखाएगी।’’ 

उल्लेखनीय है कि पुणे में भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा के मामले में जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू छात्र उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुणे के दक्कन पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक दोनों ने भड़काऊ भाषण दिए थे जिसके चलते कार्यक्रम के दौरान दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ा और हिंसा हुई। 

मेवाणी ने कोरेगांव की हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी से बयान देने की मांग करते हुए कहा कि देश में दलित सुरक्षित नहीं हैं। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वेमुला, ऊना, सहारनपुर और अब भीमा-कोरेगांव में दलितों पर हमलों जैसी घटनाएं हुई। उन्होंने कहा, ‘‘खुद को अंबेडकर का भक्त बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुप्पी तोड़ें।’’

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