दक्षिण एशिया में प्रभाव बढ़ाने की भारत और चीन में होड़
-भारत पड़ोसियों की करेगा ज्यादा आर्थिक मदद
नई दिल्ली (ईएमएस)। पड़ोसी देशों में चीन की बढ़ती मौजूदगी से चिंतित मोदी सरकार ने नई रणनीति पर काम करना शुरू किया है। भारत सरकार ने अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष 2018-19 के लिए कुछ देशों को दी जाने वाली वित्तीय मदद बढ़ा दी है। गौरतलब है कि एक तरफ भारत मदद के जरिए पड़ोसियों से रिश्तों को मजबूत करना चाहता है, तो वहीं चीन ने पूंजीवादी दृष्टिकोण अपनाया है। चीन बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। अपने हितों की सुरक्षा के लिए वह अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। इसके लिए वह विदेशी धरती पर सैन्य अड्डे बनाने की कोशिशों कर रहा है, साथ ही वह लगभग सभी दक्षिण एशियाई देशों में प्रॉजेक्ट्स में भागीदारी कर रहा है। चीन के भारी-भरकम निवेश की चाल से निपटने के लिए भारत ने अपने पड़ोसियों को मदद बढ़ा दी है और डवलपमेंट प्रॉजेक्ट्स के क्रियान्वयन पर फोकस किया जा रहा है।
सरकार की वित्तीय मदद वाली सूची में भूटान और नेपाल टॉप पर हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि नेपाल को पिछले साल की तुलना में इस बार 73 फीसदी ज्यादा यानी 600 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद दी जाएगी। 2017-18 में भारत ने नेपाल को 375 करोड़ रुपए की मदद दी थी। हालांकि नेपाल अकेला देश नहीं है, जिसे भारत ने मदद बढ़ाई है। भूटान पहले की तरह सबसे ज्यादा मदद पाने वाला देश होगा, उसे 1,813 करोड़ रुपए आवंटित किए गए है। दरअसल, यह हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रॉजेक्ट्स व अन्य कार्यों के लिए रॉयल गवर्नमेंट को दी जाने वाली मदद का हिस्सा है। पिछले हफ्ते विदेश मामलों पर एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि चीन हमारे पड़ोस में बड़ी तेजी से ढांचागत विकास की परियोजनाओं में अपना दखल बढ़ा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की इस रणनीति को काउंटर करने के लिए सरकार अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार भूटान और नेपाल में विकास संबंधी साझेदारी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें बताया गया कि 2018-19 के लिए भूटान और नेपाल के लिए आवंटित किए गए फंड्स से साफ है कि हम दोनों देशों के साथ साझेदारी को और बढ़ाना चाहते हैं। भारत सरकार के प्रॉजेक्ट्स पारस्परिक लाभ के सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। नेपाल को फंड बढ़ाना क्या चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने के लिए है? इस पर रिपोर्ट में बताया गया, नेपाल और भारत के घनिष्ठ संबंध रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में हमारे बीच साझेदारी है। हम उस पर कायम हैं। रिपोर्ट में भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा चिंताओं की ओर भी ध्यान दिलाया गया है।
भारत ने भूटान को मदद बढ़ा दी है। वैसे भूटान में अब एक तबका चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने की मांग करने लगा है, पर इससे भारत चिंतित नहीं है। भारत और भूटान के बीच मधुर संबंध रहे हैं और नई दिल्ली की ओर से भूटान को सैन्य सहयोग भी दिया जा रहा है। 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान भूटान भारत के साथ मजबूती से खड़ा था। उस समय विवादित क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने चीन के जवानों को सड़क बनाने से रोक दिया था। यह गतिरोध 73 दिनों तक चला था। नेपाल में भारत के प्रभाव को कम करने के लिए चीन वहां भारी निवेश कर रहा है। आशंका जताई जा रही है कि हाल में केपी शर्मा ओली के नेपाल का प्रधानमंत्री चुने जाने से क्षेत्र में भारत के हित प्रभावित हो सकते हैं। ओली को चीन की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है। चीन ने बांग्लादेश में पावर प्लांट्स, एक सीपोर्ट और रेलवेज के निर्माण में मदद के लिए 24 अरब डॉलर से ज्यादा लोन देने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया है। यही नहीं, चीन ने बांग्लादेश को सस्ते दर पर नौ अरब डॉलर का लोन देने की योजना बनाई है। इससे भारतीय सीमा के करीब रेल प्रॉजेक्ट समेत कुल छह परियोजनाओं पर काम होगा।