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तीन तलाक पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया रुख

नई दिल्ली, 17 दिसम्बर (हि.स.)। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) ने एक अंग्रेजी दैनिक अख़बार में तीन तलाक पर छापी गई खबर का खंडन करते हुए उसको तथ्यात्मक रूप से गलत, भ्रामक और शरारतपूर्ण करार दिया है। साथ ही तीन तलाक पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक बार फिर अपना रुख स्पष्ट किया है।

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में तीन तलाक को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखे जाने संबंधी विधेयक को मंजूरी दी गई थी। इसी सिलसिले में अख़बार ने खबर में छापी थी। हाल ही में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में तीन तलाक के विरोध में डब्ल्यूसीडी मंत्रालय ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा था कि इसके लिए अलग से कानून लाए जाने की आवश्ीं है। अंग्रेजी अख़बार ने लिखा था कि मंत्रालय ने बैठक के दौरान पूछा था कि जब तीन तलाक भारतीय दंड संहिता की धारा-498 के तहत पहले से ही महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की श्रेणी में आता है तो ऐसे में इसके लिए अलग से कानून लाने की क्या आवश्यकता है। 

मंत्रालय ने उक्त खबर का खंडन करते हुए विज्ञप्ति जारी कर कहा, ‘अंग्रेजी दैनिक में आज प्रकाशित वह खबर तथ्यात्मक रूप से गलत, भ्रामक और शरारतपूर्ण है कि मंत्रालय ने नए कानून के औचित्य पर सवाल उठाया है।’

मंत्रालय ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि डब्ल्यूसीडी हमेशा से तीन तलाक का विरोधी रहा है। ऐसे में इसके लिए लाए जा रहे नए कानून पर उसके द्वारा सवाल उठाए जाने से संबंधित खबर पूरी तरह से गलत है। मंत्रालय के अनुसार, डब्ल्यूसीडी इस मामले में उच्चतम न्यायालय में एक प्रतिवादी रह चुका है। मंत्रालय ने अख़बार को चेतावनी देते हुए कहा कि बिना सोचे समझे ऐसी खबरें छापे जाने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। 

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