चुनाव टिकट से नाराज़ भाजपा नेता ने वायरल किया विरोधी का अश्लील वीडियो
कानपुर, 04 नवम्बर : नगर निकाय चुनाव में ज्यों ही शनिवार को प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने टिकटों का एलान किया त्यों ही टिकट कटने से नाराज नेताओं ने आरोपों की झड़ियां लगा दी। हद तो तब हो गई जब सत्ताधारी पार्टी के एक नेता ने टिकट कटने से नाराज होकर पार्टी प्रत्याशी के पति का अश्लील वीडियो वायरल कर दिया। यही नहीं पार्टी के एक क्षेत्रीय स्तर के बड़े नेता पर भी गंभीर आरोप लगाये। जिसके चलते आनन-फानन में तीसरे को पार्टी ने टिकट दे दिया। तो वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष दक्षिण का कहना है जो हुआ बहुत गलत हुआ, पार्टी इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के विधानसभा क्षेत्र के वार्ड 70 से भारतीय जनता पार्टी ने निवर्तमान निर्दलीय पार्षद रानू वाजपेयी को टिकट दिया। टिकट की खबर पाकर कैबिनेट मंत्री के करीबी राजेन्द्र अवस्थी का पारा हाई हो गया और रानू वाजपेयी के पति श्रवण वाजपेयी का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
अवस्थी ने आरोप लगाया कि एक पार्टी के क्षेत्रीय पदाधिकारी ने रूपया लेकर उसकी टिकट फाइनल कराई है और मुझसे शांत रहने का दबाव बनाया। बताया कि मैं पार्टी व कैबिनेट मंत्री की 1994 से सेवा में लगा हॅूं। मंत्री ने मेरी पत्नी रीता अवस्थी को टिकट दिलाने का भरोसा दिया था और तीन नवंबर दोपहर तक फाइनल थी। लेकिन क्षेत्रीय पदाधिकारी के दबाव के चलते मेरी टिकट काट दी गई है। कहा कि 30 साल से बीजेपी की सेवा की, कई लाठियां खाई, पार्टी को भगवान की तरह पूजा की लेकिन यहां पर महाना जी का कद छोटा पड़ गया और क्षेत्रीय पदाधिकारी का ओहदा भारी पड़ गया। रीता अवस्थी ने कहा कि पार्षद पति श्रवण वाजपेयी बलात्कारी है जिसके ऊपर कानपुर के बर्रा थाने में मुकद्दमे दर्ज है और अपराधी प्रवति का है। तो वहीं वीडियो वायरल होने पर श्रवण बाजपेयी घर से फरार हो गया और घर में ताला लगा हुआ है।
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मामला बढ़ता देख टिकट की फाइनल लिस्ट जारी होने से पहले ही पार्टी ने आनन-फानन में तीसरे को यानि मालती शर्मा को टिकट दे दिया।
जिलाध्यक्ष दक्षिण अनीता गुप्ता ने बताया कि जो हुआ बहुत गलत हुआ है, पार्टी इसे गंभीरता से लेगी। सही जानकारी जुटाई जा रही है हो सकता है कि दोनों पक्षों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। रही बात टिकट की तो प्रदेश नेतृत्व ने फाइनल किया है। इसमें किसी भी पदाधिकारी पर आरोप लगाना बेबुनियाद है। (हि.स.)।