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चुनाव आयोग से ‘आप’ को झटका, लाभ के पद मामले में दलीलें खारिज

नई दिल्ली, 24 जून = चुनाव आयोग से आप विधायकों को लाभ के पद के मामले जोरदार झटका लगा है। आयोग ने इस मामले में अपने आदेश में आम आदमी पार्टी की दलीलें खारिज कर दी हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति के आदेश को रद्द घोषित कर दिया था। इसलिए दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुसार इस विषय के सम्बंध में याचिका पर सुनवाई का कोई सवाल ही नहीं बनता। हालांकि, चुनाव आयोग ने आदेश दिया है कि वह अभी इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। चुनाव आयोग के इस आदेश को चुनौती देने के लिए सभी उपाय उपलब्ध हैं, हम माननीय उच्च न्यायालय के साथ ही चुनाव आयोग के आदेशों का सम्मान करते हैं।

आम आदमी पार्टी ने अपील की थी कि जब दिल्ली हाईकोर्ट ने नियुक्तियां ही रद्द कर दीं तो अब आयोग को सुनवाई करने का न कोई औचित्य है और न ही जरूरत। आयोग ने इस दलील और अपील को दरकिनार कर दिया है। अब राष्ट्रपति को भेजे जाने वाली राय के लिए सुनवाई होगी। सुनवाई के बाद आयोग राष्ट्रपति को अपना मत भेजेगा कि इन विधायकों की नियुक्ति की वैधता पर उठे सवालों के जवाब क्या है? साथ ही इनकी सदस्यता का क्या हो?

आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह ‘लाभ का पद’ है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। इससे पहले मई 2015 में इलेक्शन कमीशन के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी।

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आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई ‘आर्थिक लाभ’ नहीं मिल रहा। इस मामले को रद्द करने के लिए आप विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका लगाई थी। वहीं राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था।

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