गरीब महिला ने सब्जी बेंचकर बेटी को बनाया डाक्टर
-घरों में झाड़ूू पोंछा कर बेटी के सपने को साकार कर रही एक गरीब मां
हमीरपुर, 03 अक्टूबर : यूपी के हमीरपुर जिले में एक गरीब महिला ने पति की मौत के बाद न सिर्फ अपने परिवार को बिखरने से बचाया बल्कि उसने अपनी बेटी को डाक्टर बनाने का सपना पूरा कर दिखाया है। डाक्टर की मां अभी भी बाजार में रोड किनारे सब्जी बेचती है वहीं उसका भाई गली कूचो में ठिलिया में केले लादकर बेचता है।
हमीरपुर जिला मुख्यालय से 32 किमी दूर मौदहा कस्बे में श्रीमती सुमित्रा इन दिनों गरीब महिलाओं के लिये रोल आफ माडल बन गयी है। सुमित्रा के पति संतोष मजदूरी करके अपने परिवार का गुजर बसर करता था। दो बेटियों और तीन बेटों का पिता दिन भर मजदूरी करता था। 12 साल पहले मामूली बीमारी में संतोष की मौत हो गयी तो सुमित्रा पर दुखों का पहाड़ ही फूट गया। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। बताया जाता है कि सुमित्रा ने बड़ी बेटी अनीता को डाक्टर बनने का सपना दिखाया और इसके लिये वह दूसरे के घरों में झाड़ूू पोंछा करने लगी। बड़ी बेटी अनीता पढऩे में होशियार थी इसलिये उसने फुटपाथ पर सुमित्रा सब्जी बेचने लगी। बेटी के लिये वह खुद भी भूखी रहती थी। इण्टरमीडियेट करने के बाद अनीता सीपीएमटी एक्जाम में पास हुई। तीन साल पहले सैफई मेडिकल कालेज में उसे दाखिला मिला था। बताया जाता है कि अनीता का डाक्टरी की पढ़ाई का यह चौथा साल हैै जो अगले साल बाद वह पूरी तरह से डाक्टर बन जायेगी।
सीपीएमटी में अनीता को मिली थी 682 रैंक
बताते है कि अनीता हाईस्कूल में 71 व इण्टरमीडियेट में 75 प्रतिशत अंक हासिल कर अपने क्षेत्र के स्कूलों में टाप रही है। वर्ष 2013 में सीपीएमटी एक्जाम में उसे 682 रैंक मिली थी। उसी साल सैफई मेडिकल कालेज में एमबीबीएस में उसका दाखिला मिला था।
बेटी के सपने को घरों में लगाया झाड़ूू पोंछा
सुमित्रा अपने पुराने दिनों की याद कर रोने लगती है। उसने बताया कि बेटी को डाक्टर बनाने के लिये दूसरे के घरों में झाड़ूू पोंछा लगाया। बस स्टाप में पानी बेचा यहां तक की सब्जी मंडी में फुटपाथ पर दिन भर बैठकर सब्जी बेची गयी। कभी-कभी चारा भी बेचकर पैसा जोड़ा है।
छोटी बेटी भी बड़ी के नक्शेकदम पर
सुमित्रा ने बताया कि बड़ी बेटी को डाक्टर बन ही गयी है मगर अब पढऩे में होशियार छोटी बेटी विनीता भी डाक्टर बनना चाहती है। उसे सीपीएमटी की तैयारी करने के लिये कानपुर भेज दिया गया है। उसका कहना है कि पैसे की कमी के लिये भाई भी मदद कर रहा है।
डाक्टर बनने को अनीता ने बेची थी इमली
खुद अनीता का कहना है कि हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान पैसे की दिक्कतें होने पर स्कूल के बाहर इमली और कैथा तक बेचना पड़ा। उसका कहना है कि स्कूल के बाहर सड़क पर इमली और कैथा लोगों को बेचकर जो पैसा मिलता था उससे किताबें और कापी खरीदते थे।
क्या कहती है डाक्टर अनीता
सैफई मेडिकल कालेज में एमबीबीएस कर रही अनीता का कहना है कि उसके पिता बेहद गरीब थे जो बीमारी के कारण मरे थे। इसीलिये वह डाक्टर बनने का सपना देखा था हालांकि यह सपना मेरी मां का था जो साकार हो गया है। अब वह गरीबों का मुफ्त इलाज करेगी। (हि.स.)।