बेंगलुरु (ईएमएस)। कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान कहा है कि एक गृहिणी किसी कामकाजी महिला के समान ही व्यस्त होती है। हाई कोर्ट ने बेंगलुरु के एक शख्स की याचिका खारिज करते हुए यह बात कही। याचिका में शख्स ने अपनी पत्नी को फ्लाइट का खर्च देने से इस आधार पर इनकार किया था कि गृहिणी होने के नाते पत्नी के पास ट्रेन में सफर करने के लिए पर्याप्त खाली समय है।
बेंगलुरु के गौरव राज जैन एक फरवरी 2018 को फैमिली कोर्ट से जारी आदेश को चुनौती देने हाई कोर्ट के पास पहुंचे थे। फेमिली कोर्ट के आदेश में उन्हें उनकी पत्नी श्वेता को मुजफ्फरनगर से बेंगलुरु तलाक की सुनवाई के लिए आने के लिए फ्लाइट का किराया 32,114 रुपये देने का निर्देश दिया गया था।
गौरव के वकील ने इसके खिलाफ तर्क दिया कि श्वेता गृहिणी हैं और उनके पास फ्लाइट की जगह ट्रेन से सफर करने के लिए पर्याप्त खाली समय है। इसलिए, यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय खर्चों में शामिल नहीं होता। याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट के जज जस्टिस राघवेंद्र एस चौहान ने कहा कि कई लोगों को गलतफहमी है कि एक गृहिणी खाली रहती है। उन्होंने कहा कि यह बताने की जरूरत नहीं है कि एक गृहिणी किसी कामकाजी व्यक्ति के बराबर ही व्यस्त रहती है। आखिरकार वह अपने परिवार के सदस्यों का ध्यान रखने और घर चलाने के लिए जिम्मेदार होती है। जज ने यह भी कहा कि पति यह तय नहीं कर सकता कि पत्नी सुनवाई के लिए यात्रा के किस साधन से आएगी।