कांग्रेस के जेष्ट नेता व पूर्व मंत्री पतंगराव कदम का लीलावती में निधन ,महाराष्ट्र ने खोया और नेता …
मुंबई : कांग्रेस के जेष्ट नेता व पूर्व मंत्री पतंगराव कदम (73) का लीलावती हॉस्पिटल में निधन हो गया .काफी दिनों से पतंगराव कदम बीमार चल रहे थे .जिन्हें इलाज के लिए मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था ,जहा शुक्रवार को उनका निधन हो गया .
ज्येष्ठ काँग्रेस नेते पतंगराव कदम यांच्या निधनाने महाराष्ट्राच्या सामाजिक, शैक्षणिक, राजकीय क्षेत्रातील समर्पित नेतृत्व काळाच्या पडद्याआड गेले. त्यांच्या निधनाने काँग्रेस पक्षाची मोठी हानी झाली आहे. काँग्रेस पक्ष कदम कुटुंबियांच्या दुःखात सहभागी आहे.
भावपूर्ण श्रद्धांजली! pic.twitter.com/gGsogyyWbv— Ashok Chavan (@AshokChavanINC) March 9, 2018
कल सुबह (10 मार्च ) 7 वजे से लेकर 9 वजे के बिच उनका उनका पार्थिव शरीर पुणा में उनके घर पर लाया जाएगा .उसके बाद साढ़े 10 वजे से लेकर साढ़े 11 वजे तक धनकवडी के एक स्कुल में उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा .
जिसके बाद शाम 4 वजे वांगी (जि. सांगली) में सोनहिरा साखर कारखाने के पास उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा .
पतंगराव कदम का संक्षिप परिचय ….
पतंगराव कदम का जन्म 1945 में सांगली जिला के सोनसळ गांव में हुआ था . गांव में कोई स्कुल नहीं होने कारण पतंगराव कदम को प्रायमरी स्कुल में शिक्षा लेने के लिए 4 से 5 किलोमीटर तक चलकर जाना पड़ता था . पुढे पलूस तहसील से उन्हों ने 10 वी पास किया .10 वि के बाद उन्हों ने सतारा के रयत शिक्षण संस्थे के शिवाजी कॉलेज में शिक्षा लिया .
1961 में वह पुणा में आये और एक साल डिप्लोमा करके , रयत शिक्षण संस्थे के माध्यमिक स्कुल में वह शिक्षक के पद पर तैनात हुए . उस समय उन्हों ने पुणे विद्यापीठ से कायद्यात बॅचलर डिग्री प्राप्त करके पुणे विद्यापीठ से मास्टर की भी शिक्षण पूरी किया .उसके बाद 20 साल की उम्र में ही 1964 में पुणा में भारती विद्यापीठ की स्थापना किया
संक्षिप्त में उनका राजकीय जीवन पर एक नजर
1985 से 2014 के बिच में सात विधानसभा चुनाव में पतंगराव कदम भिलवडी-वांगी और पलूस विधानसभा मतदारसंघ से काँग्रेस के उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए .उसके बाद लगातार सात बार चुनाव जितने का विक्रम उनके नाम पर है .
1968 में वह एसटी महामंडळ के सदस्य के रूप में नियुक्त किये गए .उसके बाद करीब 40 साल से अधिक ओ महाराष्ट्र में एक नेता के रूप में शक्रिय थे और उन्हें ‘लोकनेता’ का भी सम्मान भी प्राप्त हुआ .
@ जून 1991 से मई 1992 – शिक्षण राज्यमंत्री
@ मई 1992 से 1995 – शिक्षणमंत्री (स्वतंत्र खाते)
@ ऑक्टोबर 1999 ते ऑक्टोबर 2004 – उद्योग, व्यापार, वाणिज्य और संसदीय कामकाज खाते के कॅबिनेट मंत्री
@ नवम्बर 2004 से लगातार – पुनर्वसन और मदतकार्ये इस खात्यां के मंत्री रहे
@ प्रभारी अध्यक्ष – महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस कमिटी
@ डिसेंबर 2008 से – कॅबिनेट मंत्री, महाराष्ट्र शासन – महसूल, पुनर्वसन और मदतकार्ये, भूकंप पुनर्वसन और स्कुल शिक्षण
@मार्च 2009 से – कॅबिनेट मंत्री, महाराष्ट्र शासन महसूल खाते
@ नोव्हेंबर 2009 से लगातार – कॅबिनेट मंत्री, महाराष्ट्र शासन – वनविभाग
@ 19 नोव्हेंबर 2010 से 2014 – कॅबिनेट मंत्री, महाराष्ट्र राज्य – वनविभाग, पुनर्वसन और मदतकार्ये, भूकंप पुनर्वसन
इन पदों पर कार्यरत रहे .
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