चेन्नई/नयी दिल्ली , 07 अगस्त (हि.स.) | तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) के प्रमुख एम करुणानिधि को दफ़नाने के लिये मांगी गयी मरीना बीच में जमीन देने से तमिलनाडु सरकार ने इंकार कर दिया है | इसके कारण डीएमके के कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ हंगामा करना शुरू कर दिया है | इधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इनके निधन पर शोक संवेदना जताई है और कहा है कि करूणानिधि देश के बड़े नेताओं में से थे | वे उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल होंगे | इधर मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किये जाने की घोषणा की है और कहा है कि शव यात्रा में उन्हें तिरंगे से लपेटकर ले जाया जायेगा और बंदूकों की सलामी भी दी जाएगी | साथ ही यह भी कहा है कि सात दिन का राजकीय शोक भी रहेगा और इस दौरान कोई भी सरकारी कार्यक्रम नहीं होगा | अभी अंतिम संस्कार का समय तय नहीं किया गया है और इसका फैसला परिवार के लोग बाद में करेंगे |
सरकारी सूत्रों ने कहा कि सरकार ने उनके पुत्र एम के स्टालिन के उस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है जिसमें उन्होंने सरकारी राजाजी हाल में शव रखने की अनुमति मांगी थी | लोगों के दर्शनार्थ शव को वहां 4 बजे से कल रखा जायेगा | बुधवार सुबह साढ़े आठ बजे से दोपहर 1 बजे तक करुणानिधि का शव उनके गोपालपुरम आवास पर और इसके बाद 4 बजे से राजाजी हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा |
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने करुणानिधि के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा है कि करुणानिधि का तमिलनाडु राज्य के विकास में अहम योगदान रहा | डीएमके क्षेत्रीय पार्टी होने के बावजूद उन्होंने राष्ट्रीय राजनीतिक में अहम भूमिका निभाई | इधर तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव ने कहा कि करुणानिधि के लिए गांधी मंडपम पर दो एकड़ जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन मरीना पर नहीं, क्योंकि वहां पर कानूनी अड़चनें हैं जबकि उनके समर्थक व परिवारवाले कावेरी के मरीना पर जगह देने की मांग कर रहे हैं |