अल्मोड़ा/देहरादून, 23 सितम्बर (हि.स.)। एसएसबी स्वयंसेवकों (गुरिल्लों) के धरने को अल्मोड़ा में 2900 दिन पूरे होने पर धरना स्थल पर ही सभा का आयोजन किया। सभा को सम्बोधित करते हुए प्रदेश एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानन्द डालाकोटी ने कहा कि एसएसबी गुरिल्लों के इतने लम्बे आन्दोलन के दौरान केन्द्र व राज्य सरकारें गुरिल्लों को केवल कोरे आश्वासनों के झुनझने थमाने तथा कभी गुरिल्लों का भौतिक सत्यापन कर कभी उनके समायोजन के लिए मंत्रीमण्डल में प्रस्ताव पारित कर कभी सचिवों की उच्चस्तरीय बैठक कर गुमराह करती रही।
ब्रह्मानन्द डालाकोटी ने कहा कि देहरादून तथा दिल्ली में प्रदर्शनों के दौरान बर्बर लाठीचार्ज कर आन्दोलन को कुचलने का प्रयास करने के साथ-साथ गुरिल्ला नेताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज कर आन्दोलन से हतोत्साहित करती रही, फिर भी गुरिल्लों का हौसला कम नहीं हुआ। अल्मोड़ा में 2900 दिन बागेश्वर में 2890 दिन होने के साथ-साथ इस बीच रानीडांगा पश्चिम बंगाल, गंगानगर राजस्थान, के साथ-साथ श्रीनगर व देहरादून उत्तराखण्ड में भी नये धरने प्रारम्भ कर दिये हैं।
उत्तराखण्ड से शुरू हुआ गुरिल्ला आन्दोलन अन्तराष्ट्रीय सीमाओं से लगे सभी 17 राज्यों में फैल गया है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि विगत दिनों भारत-चीन सीमा पर हुई तनातनी को देखते हुए सरकार को गुरिल्ला प्रणाली को पुनः पुनर्जीवित करना चाहिए। सरकार ने उनकी मांगों पर शीर्घ कार्यवाही नही की तो गुरिल्ले देहरादून व दिल्ली में भी विशाल एवं उग्र आन्दोलन को बाध्य हो जाएंगे।