वाशिंगटन, 03 नवंबर (हि.स.)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पहले 12 दिवसीय एशियाई दौरे पर गुरुवार को व्हाइट हाउस से रवाना हुए। यह शुक्रवार को जानकारी मीडिया रिपोर्ट से मिली।
ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि राष्ट्रपति की पहली एशिया यात्रा का मकसद पुराने संबधों को मजबूत करना है और नए संबंधों को आगे बढ़ाना है।
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, ट्रंप अपने दौरे के दौरान जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, वियतनाम और फिलीपीन जाएंगे। यह अब तक की ट्रंप की सबसे लंबी विदेश यात्रा है। विदित हो कि लगभग तीन दशक में यह किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की सबसे लंबा एशियाई दौरा है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एच. आर. मैकमास्टर ने कहा कि ट्रंप की एशिया यात्रा को अमेरिका के पुराने सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करेगी। साथ ही वह इस दौरे को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नए संबंधों को और मजबूत करने की कोशिश करने के तौर पर देखते हैं।
मैकमास्टर ने ट्रंप की एशियाई यात्रा की पूर्व संध्या पर व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि पिछले 10 महीनों में ट्रंप कई रणनीतिक मुद्दों, खासतौर पर उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे को लेकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के नेताओं से बातचीत में सक्रिय रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद से विभिन्न देशों के नेताओं के साथ 43 बार फोन पर बात की है। उन्होंने जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, भारत, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, वियतनाम, इंडोनेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की हैं।
मैकमास्टर ने कहा कि ट्रंप की यात्रा तीन लक्ष्यों पर केंद्रित होगी जिनमें पहला उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय संकल्प मजबूत करना, दूसरा स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देना और तीसरा निष्पक्ष एवं परस्पर व्यापार और आर्थिक गतिविधियों के जरिए अमेरिका को समृद्ध बनाना शामिल हैं।
राष्ट्रपति के शीर्ष सलाहकार ने कहा कि ट्रंप इस बात पर जोर देंगे कि उत्तर कोरिया से ना केवल उसके सहयोगी देशों बल्कि पूरी दुनिया को खतरा है।