उच्च न्यायालय क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराएं फैसले : राष्ट्रपति
कानपुर, 14 फरवरी (हि.स.)। देश के लोगों में न्यायालयों के प्रति आस्था है और न्याय भी मिल रहा पर देरी की वजह से लोग भ्रमित हो रहे हैं। इसके साथ ही उच्च न्यायालय अपने फैसले अंग्रेजी में देते हैं, जिससे पीड़ित पूरी तरह से वकील पर निर्भर रहता है। ऐसे में उच्च न्यायालयों को चाहिये कि फैसले अंग्रेजी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराएें। यह बात देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विक्रमाजीत सिंह सनातन धर्म कॉलेज (वीएसएसडी) में विधि भवन और पाठ्यक्रम के शुभारंभ के दौरान कही।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दूसरी बार बुधवार को अपने शहर कानपुर पहुंचे। यहां पर सबसे पहले उन्होंने चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय (सीएसए) में हो रहे अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। इसके बाद महामहिम रामनाथ कोविंद ने शहर के विक्रमाजीत सिंह सनातन धर्म कॉलेज (वीएसएसडी) में विधि भवन और पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया। यहां पर सबसे पहले शहरवासियों को महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं दी । इसके बाद राष्ट्रपति ने बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह स्मृति व्याख्यान में कहा कि हम सभी को प्रयास करना होगा कि न्याय प्रक्रिया में विलंब न हो। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों में हिन्दी पर फैसले दिये जाते हैं पर उच्च न्यायालयों में फैसले अंग्रेजी में लिखे जाते हैं। जिससे पीड़ित अपने फैसले के विषय में सही से जानकारी नहीं कर पाता। कहा कि छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीस और मंच आसीन यतीन्द्र सिंह की बदौलत छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने फैसलों का हिंदी अनुवाद करने का प्रयास शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि दो-चार माह में ही यह व्यवस्था सभी न्यायालयों में शुरू हो जाएगी।
कानून की शिक्षा देश को देती नई दिशा
राष्ट्रपति ने कहा कि कानून की पढ़ाई समाज व देश को नई दिशा देती है। हमारी आजादी में भी वकीलों का अहम योगदान रहा है। चाहे महात्मा गांधी रहें हों या सरदार पटेल या रायबहादुर जी। सभी स्वतंत्रता सेनानी बनने से पहले पेशे से वकील रहे हैं। कहा कि मैं खुद कानून का छात्र रहा हूं। उम्मीद करता हूं कि कानून की शिक्षा ग्रहण करने वाले समाज को नई दिशा देने का काम करेंगे।
महंगी हो रही न्याय व्यवस्था
राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय व्यवस्था जटिल और महंगी होती जा रही है, जो गरीबों पर भारी पड़ रही है। इसके बावजूद हमारी न्याय व्यवस्था ऐसी है कि लोगों को अभी भी भारतीय न्याय व्यवस्था पर विश्वास बना हुआ है। इस विषय पर हम सभी को सोचना होगा। हालांकि अब लंबित मामलों को लेकर न्यायालय तेजी से कदम उठा रहे हैं। कहा कि इसके साथ ही कानून की पढ़ाई करने वाले वकीलों को भी इस विषय पर सोचना चाहिये कि कम दामों पर लोगों को न्याय उपलब्ध करायें।
पढ़ाई के दौरान का साझा किया संस्मरण
राष्ट्रपति ने कहा कि आज मुझे जिस जगह पर बोलने का मौका मिला, इसी मण्डल की दूसरी संस्था बीएनएसडी कॉलेज से मैने पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान का संस्मरण सुनाते हुए कहा कि पंजीरी और चरणामृत के लालच में हम इस कॉलेज में आयोजित जन्माष्टमी कार्यक्रम में आते थे। उस दौरान हम लोग इस बात की प्रतियोगिता करते थे कि किसने कितनी बार पंजीरी और चरणामृत लिया। कहा कि इसको अन्यथा न लिया जाय आज मैं अपने शहर आया हूं, इसलिए मैं अपने संस्मरण आपके साथ साझा कर रहा हूं ।
‘झंडा ऊंचा‘ रचयिता के गांव जाएंगे मुख्यमंत्री
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान कानपुर के स्वतंत्रता सेनानियों का भी जिक्र किया। कहा कि यहां की गलियां गवाह हैं कि पेशवा नानाराव, तात्या टोपे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय किस तरह छुप-छुपकर ब्रितानी हुकूमत से लोहा लिया। इसके बाद आजादी के आंदोलन में गणेश शंकर विद्यार्थी, चन्द्रशेखर आजाद और श्याम लाल गुप्त पार्षद ने अहम भूमिका निभाई। कहा कि मैने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस बात पर चर्चा की है कि झंडा ऊंचा रहे हमारा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, गीत के रचयिता पार्षद जी गांव जो नर्वल कस्बे में पड़ता है हम सब लोग जाएं और वहां पर बुनियादी सुविधाओं का विकास कराया जाय। जिस पर मुख्यमंत्री ने सहर्ष स्वीकार किया है और वह क्षण जल्द आने वाला है। कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गाया गया यह गीत आज ज्यादा प्रासंगिक हो गया है।
2025 तक दुनिया का सबसे युवा देश होगा भारत
वीएसएसडी कॉलेज में सनातन धर्म स्मारिका और न्यूज लेटर के विमोचन के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि 2025 तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश होगा। ऐसे में युवाओं की भूमिका अहम हो जाती है। राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि अंत्योदय सिद्धांत के प्रणेता पंड़ित दीन दयाल उपाध्याय ने 1937 से 1941 तक वीएसएसडी कॉलेज में ही बीए ऑनर्स किया था। आज उनके अंत्योदय सिद्धांत पर लोग रिसर्च कर रहे हैं।