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ईवीएम में गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं, टेक्नोलॉजी अपनाना समय की मांग: रावत

नागपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। देश के कई राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग पर मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने मंगलवार को कहा कि ईवीएम में किसी प्रकार से गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं हैं। जिन्हें ईवीएम पर शक है, वह कभी भी आएं, उनके लिए चुनाव आयोग के दरवाजे खुले हैं। 

नागपुर में आज एक स्थानीय कार्यक्रम में शिरकत करते हुए रावत ने बताया कि देश के विभिन्न राजनीतिक दल ईवीएम से वोटिंग कराने का विरोध करके बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग कर रहे हैं। आधुनिक टेक्नोलॉजी को अपनाना यह समय की मांग है जिसके चलते देश में ईवीएम के जरिये वोटिंग प्रक्रिया करवाई जाती है। रोजमर्रा की जिंदगी में हम बैंकिंग के सभी व्यवहार टेक्नोलॉजी सें करते हैं। ऐसे में ईवीएम को टार्गेट करना उचित नहीं है। पहले के जमाने में बैलेट पेपर द्वारा चुनाव होते थे लेकिन उस समय बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं होती थीं जिससे चुनाव प्रभावित होता था। इसी समस्या से निजात पाने के लिए ईवीएम का पर्याय सामने लाया गया। देश के किसी भी राजनीतिक दल को अगर ईवीएम की क्षमता पर कोई शक हो तो वह कभी भी चुनाव आयोग के कार्यालय में आकर अपनी संतुष्टि कर सकता है। 

मीडिया मैनेजमेंट बड़ी चुनौती:

उन्होंने कहा कि आज के दौर में मनी और मीडिया मैनेजमेंट चुनाव आयोग के सामने बड़ी चुनौती है। चुनाव के दौरान बहुत से निर्वाचन क्षेत्रो में करोड़ों रुपये बरामद किये जाते हैं। पैसे के इस्तेमाल को रोकने के लिए किए गए सभी उपाय असफल रहे। चुनाव के दौरान अगर बूथ कैप्चरिंग हुई तो उससे निपटने के लिए क्या करना चाहिए इसका कानून में प्रावधान है। ऐसी जगहों पर दोबारा चुनाव कराए जाते हैं लेकिन पैसे बांटे जाने पर उससे निपटने के लिए केवल अपने विवेक के दम पर निर्णय लेना होता है। सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल और कॅम्ब्रिज एनालिटीका जैसी समस्या भी चुनाव प्रक्रिया को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं।

महाभारत काल में जन्मी फेक न्यूज:

वर्तमान में फेक न्यूज एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आई है लेकिन यह समस्या हजारों वर्ष पुरानी है। महाभारत के समय फेक न्यूज के लिए युधिष्ठर का इस्तेमाल हुआ था। युद्ध के दौरान अश्वत्थामा नाम का हाथी मारा गया था लेकिन युधिष्ठर ने ‘अश्वत्थामा हतो, नरो वा कुंजरो वा’ बोलते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए थे। उसी जमाने से चली आ रही यह फेक न्यूज आज बड़ी समस्या बन गई है।

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