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इस टीम को हराकर मुंबई तीसरी बार बना विजय हजारे चैंपियन

बेंगलुरू. भारत में घरेलू क्रिकेट में अपना दबदबा बनाये रखने वाले मुंबई ने सटीक गेंदबाजी तथा आदित्य तारे और सिद्धेष लाड की दबाव में खेली गयी शानदार पारियों से शनिवार को यहां अपने परंपरागत प्रतिद्वंद्वी दिल्ली को 4 विकेट से हराकर तीसरी बार विजय हजारे ट्राफी एकदिवसीय टूर्नामेंट जीता.घरेलू क्रिकेट की 2 शीर्ष टीमों के बीच खेले गये फाइनल में तारे (89 गेंदों पर 71 रन) और लाड (68 गेंदों पर 48 रन) की पारियों से पहले मुकाबला बराबरी का लग रहा था. मुंबई ने 178 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 4 विकेट 40 रन पर गंवा दिये थे, लेकिन इसके बाद इन दोनों बल्लेबाजों ने पांचवें विकेट के लिये 105 रन की साझेदारी की जिससे मुंबई ने 35 ओवर में 6 विकेट पर 180 रन बनाकर 2006-07 के बाद पहली बार यह एकदिवसीय टूर्नामेंट जीतने में सफल रहा. दिल्ली की टीम पहले बल्लेबाजी का न्यौता मिलने पर 45.4 ओवर में 177 रन पर आउट हो गयी थी. उसकी तरफ से हिम्मत सिंह ने सर्वाधिक 41 रन बनाये.

मुंबई के मध्यम गति के गेंदबाज तुषार देशपांडे (30 रन देकर दो), अनुभवी धवल कुलकर्णी (30 रन देकर 3) और शिवम दुबे (29 रन देकर 3) ने दिल्ली को कम स्कोर पर समेटने में अहम भूमिका निभायी. रणजी ट्राफी में 41 बार के चैंपियन मुंबई ने तीसरी बार विजय हजारे ट्राफी जीती है. इससे पहले उसने 2003-04 और 2006-07 में खिताब जीता था. दिल्ली 2012-13 में चैंपियन बना था लेकिन उसे दूसरी बार उप विजेता बनकर संतोष करना पड़ा. एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गये फाइनल में दोनों टीमों की शुरुआत अच्छी नहीं रही. पहले बल्लेबाजी का न्यौता पाने वाले दिल्ली ने कप्तान गौतम गंभीर सहित 3 विकेट 21 रन पर गंवा दिये थे, जबकि मुंबई के भी 3 बल्लेबाज 25 रन पर पहुंचने तक पवेलियन में विराजमान थे. इनमें युवा सनसनी पृथ्वी साव और अनुभवी अंजिक्य रहाणे भी शामिल थे. नवदीप सैनी (53 रन देकर 3 विकेट) ने मुंबई के शीर्ष क्रम को झकझोरने में अहम भूमिका निभायी. वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण पर ही प्रभावशाली प्रदर्शन करने वाले पृथ्वी (आठ) ने उनकी पहली दो गेंदों पर चौके लगाये लेकिन बेहतरीन लेंथ से की गयी तीसरी गेंद इस युवा बल्लेबाज को बोल्ड कर गयी. सैनी ने इसके बाद रहाणे (10) को पगबाधा आउट किया जबकि सूर्यकुमार यादव (चार) को दूसरी स्लिप में कैच कराया. मुंबई को कप्तान श्रेयस अय्यर से काफी उम्मीदें थी जिन्होंने सेमीफाइनल में नाबाद अर्धशतक जमाया था.

अय्यर जीवनदान भी मिला लेकिन उन्होंने बाहर जाती गेंदों से छेड़छाड़ जारी रखी और केवल सात रन बनाकर विकेटकीपर उन्मुक्त चंद को कैच दे बैठे. तारे और लाड ने यहीं से जिम्मेदारी संभाली. इन दोनों ने रक्षात्मक और आक्रामक बल्लेबाजी का अच्छी तरह संयोजन बिठाया. इस बीच भाग्य ने भी उनका साथ दिया क्योंकि दोनों बल्लेबाजों को एक-एक अवसर पर तीसरे अंपायर की मदद से जीवनदान मिला. मनन शर्मा ने तारे को पगबाधा करके यह साझेदारी तोड़ी लेकिन दिल्ली के लिये तब तक काफी देर हो चुकी थी. तारे ने अपनी पारी में 13 चौके और एक छक्का लगाया. लाड भी अंतिम क्षणों में पवेलियन लौटे. उन्होंने चार चौके और दो छक्के लगाये. दुबे 19 रन बनाकर नाबाद रहे. इससे पहले गंभीर (एक) ने पारी के दूसरे ओवर में ही देशपांडे की गेंद स्लैश करने के प्रयास में थर्डमैन पर कैच दिया जबकि उन्मुक्त (13) की खराब फार्म जारी रही.

कुलकर्णी की गेंद पर रहाणे ने डाइव लगाकर उनका कैच लिया जबकि मनन शर्मा (पांच) ने देशपांडे की गेंद को विकेटकीपर के दस्तानों में पहुंचाया. दिल्ली ने इसके बाद भी नियमित अंतराल में विकेट गंवाये. दुबे ने नितीश राणा (13) के रूप में अपना पहला विकेट लिया. जब टीम संकट में थी तब ध्रुव शोरे (31) और हिम्मत सिंह (41) से अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में तब्दील करने की उम्मीद थी लेकिन इन दोनों ने आसानी से अपने विकेट इनाम में दिये. दिल्ली का 200 रन के पार पहुंचने की उम्मीदों को तब करारा झटका लगा जब सेमीफाइनल के उसके नायक पवन नेगी चोटिल होकर रिटायर्ड हर्ट हो गये. उन्होंने मैदान छोड़ने से पहले 19 गेंदों पर दो चौकों और एक छक्के की मदद से 21 रन बनाये थे. सुबोध भाटी (25) ने 3 गगनदायी छक्के जड़े जिससे दिल्ली कुछ सम्मानजनक स्कोर तक पहुंच पाया.

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