अमृतसर (ईएमएस)। इराक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खूंखार आतंकियों के हाथों मारे गए 39 भारतीयों को सिर में गोलियां मारी गई थीं। सोमवार को अमृतसर पहुंचे 27 भारतीयों के शवों के मृत्यु प्रमाणपत्रों में सिर में गोली लगने की वजह से मौत होने की बात लिखी है। प्रमाणपत्रों के मुताबिक भारतीयों की हत्याएं मोसुल 110 किलोमीटर दूर निन्वेह टाउनशिप में स्थित वाडी अगाब इंडस्ट्रियल एरिया में हुई थीं। इराक में मारे गए लोगों के परिजन उनके जिंदा होने के संबंध में आशंकाएं पैदा होने के बाद से ही सरकार से पूरी जानकारी देने की मांग कर रहे थे।
इन मृत्यु प्रमाणपत्र पर बगदाद स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी उमेश यादव के हस्ताक्षर हैं, जो वहां असिस्टेंट काउन्सलर के पद पर कार्यरत हैं। हालांकि दस्तावेजों में यह बात नहीं कही गई है कि इन भारतीयों की हत्या कब की गई थी। आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिजनों का कहना है कि इनमें से अधिकतर 15 जून, 2014 को आखिरी कॉल की थी। माना जा रहा है कि जून महीने में ही किसी वक्त उनकी हत्या की गई थी।
39 भारतीयों के साथ मौजूद रहे और बचकर निकलने का दावा करने वाले गुरदासपुर के एक गांव के निवासी हरजीत मसीह ने भी लगभग यही तारीखें बताई थीं। हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह उनके इस दावे को स्वीकार नहीं करते। यहां तक कि 38 भारतीयों के शव भारत पहुंचने के समय अमृतसर एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करने के दौरान भी वीके सिंह ने मसीह के इस दावे को खारिज किया था।